राज्य के 80% से ज्यादा बार बंद होने के कगार पर होंगे
सरकार की इस कवायद से बार संचालकों की हालत खराब है. अगर यह सुझाव राज्य सरकार अमल में लाती है, तो राज्य के 80% से ज्यादा बार बंद होने के कगार पर होंगे. इसके लिए मसौदा तैयार कर लिया गया है. करीब 190 पन्नों की यह रिपोर्ट भेजी जा चुकी है, जिस पर युद्ध स्तर पर विभाग में काम चल रहा है. अगर इस रिपोर्ट को मानें और इसके अनुसार चलें तो इस बार जनसंख्या के आधार पर बार अनुज्ञप्ति शुल्क (वार्षिक लाइसेंस शुल्क) लगाने की सिफारिश की गई है. अगर जनसंख्या किसी शहर की 1 लाख है तो उसकी अनुज्ञप्ति शुल्क कुछ और होगी और किसी जिले की जनसंख्या 3 लाख से अधिक है, तो वहां के बार अनुज्ञप्ति शुल्क कुछ और ही होगी. रिपोर्ट की मानें तो तीन लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले जिले/शहर में बार लाइसेंस शुल्क जो वर्तमान में 9 लाख वार्षिक है, उसे 24 लाख प्रति वर्ष करने की सिफारिश की गई है. वहीं मॉल में स्थित बार के लिए शुल्क थोड़ी और अधिक 31 लाख होगी. इसके अलावा बार व्यवसायियों को हर महीने शराब के उठाव का कोटा भी बांधने की सिफारिश की गई है.क्या कहा अध्यक्ष ने
प्रेस कांफ्रेंस में संघ के अध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा कि सिर्फ राजस्व को न देखे सरकार, बल्कि इससे लोगों को मिल रहे रोजगार को भी देखे. एक बार रेस्त्रां खुलता या चलता है तो सैकड़ों लोगों को रोजगार और आमदनी होती है. वो चाहे कर्मचारी हों, दूध वाला हो, पनीर, मटन, चिकन, सब्जी, गैस या रिक्शा या टेंपो वाला, हर कोई कहीं न कहीं इससे जुड़ा है और लाभान्वित होता है. बार व्यवसाय तो पहले ही मरा है यहां, उसे मत मारिए अब. अगर सरकार यह अप्रत्याशित वृद्धि करती है तो आगामी 1 अप्रैल से राज्य के सभी बार खुद बंद कर देंगे.सरकार रोजगार धंधे को बंद करने की तैयारी में है
झारखंड बार एवं रेस्त्रां संघ के प्रवक्ता अनित सिंह का कहना है कि 9 लाख से 24 या 31 लाख लाइसेंस शुल्क करने की तैयारी पूरी तरह से गलत फैसला है. सरकार को उद्यमी को बढ़ावा देना चाहिए, व्यापार के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, पर हमारी सरकार रोजगार धंधे को बंद करने की तैयारी में है.यह नीति व्यवसाय को मारने के लिए लायी जा रही
पिछले 3 वर्षों की बात करें तो कोरोना के कारण यह उद्योग हमारे राज्य में बिल्कुल खस्ताहाल में है. तीनों लहरों में बार करीब डेढ़ साल से ज्यादा बंद रहे हैं. वहीं खुलने के बाद भी यहां दर्जनों तरह की पाबंदियां रही हैं, जिससे लोगों का आगमन कम रहा और संचालक किसी प्रकार व्यवसाय चला अपने और अपने कर्मचारियों के घरों को चलाते रहे और चलाते आ रहे. अतः अगर यह नीति आ रही, तो यह व्यवसाय को मारने के लिए लायी जा रही है.ये रहे मौजूद
प्रेस कांफ्रेंस में संघ के कोषाध्यक्ष बिरेन साहू, सलाहकार रामाशंकर सिंह, संरक्षक विजय वर्मा समेत रांची, धनबाद और अन्य जिलों के बार संचालक मौजूद रहे. इसे भी पढ़ें – कर्नाटक">https://lagatar.in/tension-after-bajrang-dal-workers-murder-in-karnatakas-shivamogga/">कर्नाटकके शिवमोगा में बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या के बाद तनाव [wpse_comments_template]

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