Ranchi: झारखंड में 2026 में होने वाले परिसीमन को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं. प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद रामेश्वर उरांव ने आशंका जताई है कि इस बार के परिसीमन से राज्य में आदिवासी विधानसभा सीटों की संख्या घट सकती है.
उन्होंने कहा कि 2002 में जब आखिरी परिसीमन हुआ था, तब झारखंड में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ था. मैं उस समय संसद में था और यह मामला होल्ड पर रख दिया गया था, यह कहते हुए कि अगली बार लागू होगा.
रमेश्वर उरांव के मुताबिक, झारखंड विधानसभा की आदिवासी सीटें घटकर 22 रह सकती हैं, जो वर्तमान में 28 हैं. उनका कहना है कि यदि जनसंख्या के नए आंकड़ों के आधार पर परिसीमन हुआ, तो आदिवासी क्षेत्रों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कमजोर हो सकता है.
क्या है परिसीमन और क्यों हो रहा है?
परिसीमन एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाएं जनसंख्या के अनुसार दोबारा तय की जाती हैं. इसका मकसद है कि प्रत्येक सीट पर लगभग समान संख्या में मतदाता हों.
2026 में प्रस्तावित परिसीमन में 2021 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सीटों और क्षेत्रों की नए सिरे से पहचान की जाएगी. इससे उन क्षेत्रों में बदलाव होगा, जहां जनसंख्या घनत्व में बड़ा परिवर्तन हुआ है.
क्या होता है परिसीमन?
परिसीमन का मतलब होता है – निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं तय करना. जैसे किसी जिले में जनसंख्या बहुत बढ़ गई हो, तो वहां एक से ज़्यादा विधानसभा क्षेत्र बनाए जा सकते हैं. वहीं जहां जनसंख्या कम है, वहां की सीटों को घटाया भी जा सकता है.
यह काम एक स्वतंत्र और निष्पक्ष निकाय ‘परिसीमन आयोग’ करता है. भारत में अब तक चार बार परिसीमन हो चुका है – 1952, 1963, 1973 और 2002 में.
2026 का परिसीमन क्यों अहम है?
भारत में आखिरी बार परिसीमन 2002 में हुआ था, लेकिन 84वें संविधान संशोधन (2001) के तहत जनसंख्या के आधार पर सीटों की संख्या 2026 तक स्थगित कर दी गई थी. यानी 2001 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही अब तक चुनाव हो रहे हैं.
लेकिन अब 2026 के बाद 2021 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नया परिसीमन होगा, जिससे लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या और सीमा में बड़ा बदलाव आ सकता है.
परिसीमन प्रक्रिया कैसी होती है?
• परिसीमन आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है.
• इसके प्रमुख एक सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज होते हैं.
• इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और संबंधित राज्यों के चुनाव आयुक्त सदस्य होते हैं.
• यह आयोग जनगणना और भूगोल के आधार पर सीमाएं तय करता है.
• आयोग के फैसले अंतिम होते हैं, इन्हें कोई अदालत चुनौती नहीं दे सकती.
लोगों के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव?
• आपका निर्वाचन क्षेत्र बदल सकता है.
• आपकी सीट आरक्षित हो सकती है (SC/ST के लिए) या आरक्षण हट सकता है.
• आपका मौजूदा विधायक या सांसद अब किसी और क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है.
अब आगे क्या?
2026 के बाद परिसीमन लागू होने की संभावना है. सरकार द्वारा जनगणना 2021 के आंकड़े सार्वजनिक करने के बाद परिसीमन आयोग गठन की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके बाद देश की राजनीतिक तस्वीर बदल सकती है.
झारखंड में 2026 में होगा परिसीमन, बदलेगा चुनावी नक्शा
रांची: झारखंड में 2026 में होने वाला परिसीमन चुनावी क्षेत्रों की तस्वीर को पूरी तरह बदल सकता है. इसमें निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं फिर से तय होंगी और सीटों का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर किया जाएगा.
क्या बदलेगा परिसीमन से?
सीमाएं बदलेंगी: कुछ निर्वाचन क्षेत्र बड़े होंगे, कुछ छोटे. कुछ नए बन सकते हैं, कुछ खत्म भी हो सकते हैं.
सीटों का बंटवारा: जहां आबादी ज्यादा है, वहां नई सीटें मिल सकती हैं. कुछ जिलों की सीटें घट भी सकती हैं.
राजनीतिक असर: कुछ राजनीतिक दलों को इससे फायदा हो सकता है, तो कुछ को नुकसान. खासकर उन इलाकों में जहां जनसंख्या में बड़ा बदलाव हुआ है.
जातीय-सामाजिक समीकरण: परिसीमन से कुछ समुदायों को ज्यादा प्रतिनिधित्व मिल सकता है, जबकि कुछ पिछड़ सकते हैं.
विकास और शासन: नई सीमाओं के हिसाब से विकास योजनाएं और प्रशासनिक ढांचा भी बदलेगा.