Sheetal P Singh
केरल के पलक्कड़ जिले (वालायर के पास) में 17 दिसंबर 2025 को एक दर्दनाक घटना हुई. स्थानीय लोगों की एक भीड़ ने छत्तीसगढ़ के एक प्रवासी मजदूर को चोरी के शक में घेर लिया और बांग्लादेशी घुसपैठिया समझकर बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला. केरल में भी ऐसा हो सकता है, इस ख्याल से मैं सकते में हूं!
छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के करही गांव का रहने वाला पीड़ित राम नारायण बघेल (उम्र 31 साल) दलित प्रवासी मजदूर था. वह काम की तलाश में 13 दिसंबर को केरल गया था और निर्माण स्थल पर दिहाड़ी मजदूरी कर रहा था. परिवार में उसके अलावा उसकी पत्नी ललिता और दो छोटे-छोटे बच्चे हैं.
एक स्थानीय चोरी की घटना के बाद भीड़ ने रामनारायण को संदिग्ध मान लिया. वीडियो फुटेज में हमलावर उसे “क्या तुम बांग्लादेशी हो?” पूछते और बार-बार “बांग्लादेशी” कहकर पीटते दिख रहे हैं. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर 80 से ज्यादा चोटें मिलीं, पसलियां टूटी हुई थीं और अत्यधिक रक्तस्राव से मौत हुई. डॉक्टरों ने इसे क्रूर मॉब अटैक बताया है.
पुलिस ने अब तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. उनके नाम अनंतन, अनु, सी प्रसाद, सी मुरली और के बिबिन हैं. सभी स्थानीय निवासी हैं. मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1) के तहत हत्या का केस दर्ज किया गया है.
केरल सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है और सभी आरोपियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का भरोसा दिया है. घटना में शामिल बाकी संदिग्धों की तलाश हो रही है.
केरल सरकार से 10 लाख और छत्तीसगढ़ सरकार से 5 लाख रुपये की मदद परिवार को मिली है. मैं कई दिनों से इससे संबंधित वीडियो अनेक पोस्ट्स में देख रहा हूं और घबरा रहा हूं. उस बेबस इंसान का चेहरा और उसे पीटने मारने को आतुर भीड़ का संवाद मुझे जड़ कर गया है! इन सबके बीच मेरा सवाल अनुत्तरित है कि केरल में ऐसा कैसे हुआ? यदि केरल भी नष्ट हो चुका है तो बचा क्या?
डिस्क्लेमर : शीतल पी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह टिप्पणी उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है.
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