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ख्रीस्त गिरजाघर में इस बार 3000 विश्वासी एक साथ क्रिसमस आराधना में हो पाएंगें शामिल

Ranchi : रांची ही नहीं पूरी दुनिया में आज की रात मसीही विश्वासियों के लिए सबसे खास है. आज ही के दिन उनके उदारकर्ता, मसीहा ने मानव रुप में धरती पर जन्म लिया था. विश्वासी इसे काफी धूम धाम से मनाते हैं. पिछले दो वर्षों से कोविड काल में इसे काफी सादगी के साथ मनाया जा रहा था. पर इस वर्ष भले ही कोरोना का प्रकोप कम नहीं हुआ है पर गाइडलाइन्स का पालन करते हुए विश्वासी पूरे हर्षों-उल्लास के साथ गिरजाघरों में क्रिसमस मनाएंगें.जीईएल कलीसिया छोटानागपुर की धरती पर सबसे पुराना गिरजाघर है. पिछले दो वर्षों से यहां क्रिसमस में चर्च बंद रखा जा रहा था. पर इस वर्ष पूरी साज-सज्जा के साथ चर्च यीशु के आगमन और विश्वासियों की आराधना के लिए तैयार है. गिरजाघर के अंदर सोशल डिस्टेंशिंग के लिए बेंचों में उचित दूरी पर निशान बनाएं गए हैं. पुरोहितों का कहना है कि गिरजाघर में 800 लोगों के बैठने की जगह पर कोरोना के कारण 50 प्रतिशत लोग ही अंदर बैठेंगें. वहीं गिरजाघर के बाहरी परिसर में लगभग 2500 से भी अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था की गयी है. यानी दो वर्षों बाद ख्रीस्त गिरजाघर में लगभग 3000 विश्वासी एक साथ क्रिसमस आराधना में शामिल होंगें. बाहर एलईडी स्क्रीन में लोग यीशु मसीह के आगमन की आराधना राधना में शामिल होंगें. चर्च में रात 11 बजे क्रिसमस के लिए पुरोहित आराधना करवाएंगें. इसे भी पढ़ें-लेस्लीगंज:">https://lagatar.in/leslieganj-police-arrested-one-for-beating-up-the-youth/">लेस्लीगंज:

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 1845 को पहली बार रांची आए थे चार जर्मन मिशनरी 

गोस्सनर एवं जेलिकल लूथेरन (जीईएल) कलीसिया की स्थापना गोस्सनर मिशन के संस्थापक फादर योहान्नेस इवंजेलिस्ता गोस्सनर ने किया था. वर्ष 1844 में उन्होंने जर्मनी के बर्लिन शहर से चार मिशनरियों को कलीसिया बर्मा (म्यांमार) सुसमाचार के प्रचार-प्रसार के लिए भेजा था. ये चार मिशनरी इमिल शत्स, फ्रेड्रिक वात्स, औगुस्त ब्रान्त और ई थेयोदोर यानके थे. पर कुछ कारण से वे वहां न जाकर कलकत्ता में बाईबिल सोसाइटी पहुंचे और इसके बाद 2 नवम्बर 1845 में ये मिश्नरी रांची पहुंचे. यहां उन्होंने सुसमाचार का प्रचार करने के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम किया. इसे भी पढ़ें-ज्ञान">https://lagatar.in/exhibition-on-christmas-at-gyan-sindhu-academy-nirsa/">ज्ञान

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छोटानागपुर के सबसे पुराने चर्च में पहली बार क्रिसमस 

मिशन के इस कार्य में इन चारों मिस्नरियों को काफी सफलता मिली. धीरे-धीरे कलीसिया का विस्तार होने लगा. लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक बड़े गिरजाघर की जरुरत महसूस की गयी. जिसके बाद 18 नवंबर 1851 को जीईएल कंपाउंड स्थित छोटानागपुर के सबसे पुराने गिरजाघर, ख्रीस्त गिरजा की नींव रखी गयी. इससे बनाने में लगभग 4 वर्षों का समय लगा और 23 दिसंबर 1855 में यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया. 24 दिसंबर 1855 को चर्च का उद्घाटन किया गया. 24 दिसंबर की रात को ही यीशु का जन्म पर्व भी मनाया जाता है और इसी रात चर्च में पहला क्रिसमस भी बड़े धूम-धाम व हर्षों-उल्लास के साथ मनाया गया. चर्च के पहले पुरोहितों में जर्मन मिशनरी ही शामिल थे. इसे भी पढ़ें-हैप्पी">https://lagatar.in/happy-new-year-mathura-will-go-to-birhor-basti-raj-vindhyachal/">हैप्पी

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2019 में मनाया गया चर्च का 100 वां जुबली समारोह 

वर्ष 1915 में प्रथम विश्व युद्ध के समय जब जर्मन मिशनरियों को लौटना पड़ा. इसके बाद इसे चलाने की जिम्मेदारी छोटानागपुर के बिशप डॉ. फोस्स वेस्टकॉट को दिया गया. उसी दौरान 10 जुलाई 1919 में गोस्सनर कलीसिया को ऑटोनोमस घोषित किया गय़ा. बीते 10 जुलाई 2019 में ही जीईएल कलीसिया ने 100 वर्ष पूरे किए. इस जुबली सेलिब्रेशन को काफी धूम-धाम से मनाया गया जिसमें न केवल देशों से जीईएल चर्च के प्रतिनिधि बल्कि जर्मनी से भी कई बड़े बिशप और पुरोहित शामिल हुए थे. इसे भी पढ़ें-88">https://lagatar.in/88-years-ago-in-1932-a-landlord-of-pakur-was-murdered-in-kolkata-with-a-biological-weapon/">88

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70,000  परिवार  जीईएल कलीसिया के विश्वासी 

फिलहाल कलीसिया से लगभग 70,000 परिवार जुड़े हैं. इसमें पांच डायसिस और एक हेड क्वाटर्स कंग्रीगेशन हैं. पांच डायसिस में नोर्थ-ईस्ट डायसिस (हेड क्र्वाटर तेजपुर, असम), नोर्थ-वेस्ट डायसिस (रांची से उत्तर पश्चिम), साउथ-वेस्ट डायसिस (ओडिसा, राजगांगपुर), मध्य-डायसिस (खूंटीटोली, सिमडेगा), साउथ-ईस्ट डायसिस (रांची से दक्षिण कदमा, खूंटी) और हेडक्वार्टर्स कंग्रीगेशन जो रांची में स्थित हैं. इन डायसिस में 6 बिशप हैं. इन्हें में से एक मोडरेटर हैं जो अपने डायसिस के बिशप होने के साथ ही हेडक्वार्टर के प्रधान हैं. वर्तमान में बिशप जोहान डांग मौडरेटर के पद पर स्थापित हैं. [wpse_comments_template]    

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