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2019 में हुई थी पानी की समस्या
पिछले साल प्री मॉनसून सीजन के दौरान एक मार्च से लेकर एक अप्रैल तक केवल रांची में 91.3 मिमी बारिश हुई थी. अच्छी बारिश होने के कारण ही भूगर्भ जलस्रोत बना रहा. इससे जलसंकट की बड़ी समस्या सामने नहीं आयी. जबकि 2019 में कम बारिश होने के कारण राजधानी के कई इलाकों में भूगर्भ जलस्रोत सूख गया. हरमू, डोरंडा और कई इलाकों में बोरवेल भी सूख गए. पूरी गरमी के दौरान समस्या से जूझ रहे परिवारों को पानी खरीदकर काम चलाना पड़ा था. मौजूदा समय में बंगाल की खाड़ी से गुजर रहा अति निम्न दबाव क्षेत्र से भी झारखंड में बारिश की उम्मीद अब नहीं के बराबर है. अंडमान सागर में एक अप्रैल को बना यह सिस्टम भी यहां से काफी दूर हो गया है. यह सिस्टम अब अति दाब होकर म्यांमार तट की ओर बढ़ते हुए कमजोर हो रहा है. आनेवाले दो सप्ताह तक अन्य हलचल की संभावना नहीं है. मौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान के अनुसार, देश के मैदानी भाग में इस बार ज्यादा गर्मी पड़ेगी. मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि मॉनसून आने तक गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद कम है. अन्य वर्षो की तुलना में इस बार तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. इससे बारिश में कमी आएगी. ऐसी गर्मी में स्वाभाविक ही है कि इसका भू जल स्रोत पर भी असर पड़ेगा और जल संकट की समस्या सामने आएगी.तीन साल के दौरान बारिश ( एक मार्च से एक अप्रैल तक )
शहर | 2019 (मिमी) | 2020 (मिमी) | 2021 (मिमी) |
रांची | 48.2 | 91.3 | 23.4 |
जमशेदपुर | 49.6 | 110.1 | 31.1 |
डालटनगंज | 12.2 | 120.9 | 1.0 |
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