Aizawl : जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में जो समुदाय के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए मिजोरम में हजारों लोगों ने मंगलवार को प्रदर्शन किया. सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन (सीवाईएमए) और मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) सहित पांच प्रमुख नागरिक संस्थाओं के समूह एनजीओ को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में रैलियां आयोजित कीं. मुख्यमंत्री जोरमथंगा, उपमुख्यमंत्री तावंलुइया, मंत्रियों एवं राज्य के विभिन्न दलों के विधायकों ने आइजोल में बड़े पैमाने पर हुई प्रदर्शन रैली में भाग लिया. इस रैली में हजारों आम लोग भी शामिल हुए. इस दौरान लोगों ने पड़ोसी राज्य में हिंसा की निंदा करने वाले पोस्टर थाम रखे थे. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | Mizoram | Locals in Aizawl protest over the Manipur issue. pic.twitter.com/0WfPWm5PMl
— ANI (@ANI) July 25, 2023
भीड़ इतनी अधिक थी कि शहर मानो थम गया हो
आइजोल में रैली में एकत्र हुई भीड़ इतनी अधिक थी कि शहर मानो थम गया हो. रैली में भाग लेने वालों ने दावा किया कि राज्य में हालिया वर्षों में इतना बड़ा प्रदर्शन नहीं देखा गया है. इस रैली के समर्थन में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल पार्टी’ (एमएनएफ) के कार्यालय बंद रहे. विपक्षी दलों भाजपा, कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने भी रैलियों के समर्थन में अपने पार्टी कार्यालय बंद रखे. ‘एनजीओ को-ऑर्डिनेशन कमेटी’ के अध्यक्ष आर ललंघेटा ने केंद्र से मणिपुर में हिंसा रोकने का आग्रह किया. उन्होंने रैली में कहा, यदि भारत हमें भारतीय मानता है, तो उसे मणिपुर में ‘जो’ समुदाय के लोगों की समस्या को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें केंद्र से जातीय संघर्ष के पीड़ितों को मुआवजा देने और दो महिलाओं के जघन्य यौन उत्पीड़न की घटना में शामिल लोगों के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया.
प्रदर्शनों के मद्देनजर राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गयी
मिजोरम में मिजो समुदाय के लोगों का मणिपुर के कुकी, बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों के कुकी-चिन और म्यांमा के चिन समुदाय के लोगों के साथ जातीय संबंध है. इन्हें सामूहिक रूप से ‘जो’ कहा जाता है. प्रदर्शनों के मद्देनजर राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गयी. अधिकारियों ने बताया कि सभी जिलों में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया और विशेषकर संवेदनशील क्षेत्रों में कड़ी सतर्कता बरती गयी, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.