शोध में खुलासा : जंगलों में बसावट से उग्र हो रहे हाथी, रांची में 60 दिनों में 33 घटनाएं
Ranchi : झारखंड का राजकीय पशु हाथी (गजराज) है. हाथियों के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर कई योजनाओं पर काम चल रहा है. अब हाथी का गुस्सा राज्य के लिए चिंता का विषय बन गया है. ऐसा कोई सप्ताह नहीं, जब प्रदेश के किसी न किसी इलाके से हाथियों के हमले की सूचना न आती हो. इससे राजधानी रांची भी अछूती नहीं है. रांची जिले के विभिन्न इलाकों में 60 दिनों में 33 घटनाओं को हाथियों ने अंजाम दिया. दर्जनों घर क्षतिग्रस्त कर दिए. एकड़ों में फैली फसल को रौंद दिया. 10 लोगों की जान चली गई.
प्रदेश में आखिर हाथियों का उत्पात क्यों बढ़ रहा है? हाथी जंगल छोड़ गांव और शहर में क्यों दाखिल हो रहे हैं? हाथियों और मनुष्यों के बीच बढ़ रहे टकराव को कैसे रोका जा सकता है? ऐसे कई सवालों का जवाब जानने की कोशिश शोध के माध्यम से चल रही है. अबतक के शोध में पता चला है कि जंगल क्षेत्र में लोगों का बसावट बढ़ने, जंगल घटने और हाथियों के क्षेत्र का अतिक्रमण होने की वजह से हाथी दिन प्रतिदिन उग्र हो रहे हैं. गजराज को लग रहा है कि उसका राज (क्षेत्र) समाप्त हो रहा है. तब वह जंगल से बाहर निकल रहे हैं.
जंगल की शांति हो रही भंग
आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा संचालित डॉ. रामदयाल मुंडा शोध संस्थान द्वारा हाथी और मानव के बीच बढ़ते संघर्ष, एलिफैंट कॉरिडोर आदि को लेकर विस्तृत शोध कार्य शुरू कराया गया है. इस कार्य में वन विभाग के विशेषज्ञ भी सहयोग कर रहे हैं. शोध का काम पांच माह से चल रहा है. आदिवासी, वनवासी जंगल-पहाड़ में शांतिपूर्वक निवास करने वाले लोग हैं, वैसे ही हाथी भी शांत क्षेत्र पसंद करते हैं. मगर उनकी शांति अब भंग हो रही है. विकास की कहानी का सीधा वास्ता आदमी और जानवर के उस टकराव से जुड़ गया है, जिसका खामियाजा आए दिन लोगों को भुगतना पड़ रहा है. मनुष्य और हाथी के टकराव में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. यह टकराव, जंगल के पास बसावट बढ़ने, जंगल घटने और जंगली जानवरों के क्षेत्र का अतिक्रमण होने से बढ़ता जा रहा है.
रांची में हमले की घटना में बढ़ोत्तरी
पिछल पांच वर्षों में हाथियों का हमले में बढ़ोत्तरी हुई है. राजधानी रांची के अनगड़ा, बुंडू, तमाड़, सोनाहातू, सिल्ली, नगड़ी आदि दर्जनों गांव हाथियों के उत्पात से प्रभावित है. वहीं कोल्हान और आसपास के क्षेत्र में जंगली हाथी अब गांव के आसपास अपना बसेरा बना रहे हैं. गांव में ग्रामीणों के घर तोड़ रहे हैं. फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. क्योंकि एलिफैंट कॉरिडोर डिस्टर्ब हो गया है. जंगल से हाथी शहर में पहुंच रहे हैं. झारखंड गठन से लेकर अबतक 1500 से अधिक लोगों की जान हाथी ले चुके हैं. वहीं करीब 100 से ज्यादा हाथियों की भी जान चली गई है. वर्ष 2009-10 से लेकर अबतक करीब 850 लोगों को हाथियों ने मार डाला. सरकार मुआवजे के रूप में तकरीबन 20 करोड़ रुपए बांट चुकी है.
हाथी खुद को समझ रहे हैं असुरक्षित : एक्सपर्ट
1979 बैच के सेवानिवृत्त आईएफएफ नरेंद्र मिश्रा से बातचीत की. नरेंद्र मिश्रा ने बताया कि झारखंड के जंगलों में हाथी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. इसकी कई वजहें हैं. जिसमें जंगल के आसपास उत्खनन, जंगल विस्फोट, नक्सल अभियान और जंगल के तस्कर प्रमुख हैं. हाथियों के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर कई योजनाओं पर काम चल रहा है. इसके बाद भी हाथी जंगल से बाहर निकल रहे हैं, गांव और शहर में दस्तक दे रहे हैं, यह बेहद गंभीर है. चिंता का विषय है. मिश्रा के अनुसार प्रदेश में सिंहभूम के जंगल हाथियों के प्राकृतिक आवास के लिए काफी मशहूर थे, लेकिन पिछले तीन दशक में हाथियों की प्राकृतिक आश्रयस्थली को काफी क्षति पहुंची है. आश्रयस्थली क्षति होने का मुख्य कारण है खनन में बढ़ोतरी और सड़क एवं रेलवे लाइन का विस्तार. वहीं दूसरी तरफ हाथियों के कॉरिडोर में आबादी का बसना सबसे बड़ा कारण है. कॉरिडोर डिस्टर्ब होने से हाथियों का आवागमन प्रभावित हो रहा है. जिससे हाथी झुंड में जंगल से बाहर निकलने के लिए मजबूर हो जाते हैं. जंगल से बाहर निकलते हैं, तो मनुष्य के साथ टकराव हो जाता है.
किस वर्ष, हाथियों ने कितनों को अपना शिकार बनाया
वित्तीय वर्ष संख्या
2009—10 में 54
2010—11 में 69
2011—12 में 62
2012—13 में 60
2013—14 में 56
2014—15 में 53
2015—16 में 66
2016—17 में 59
2017—18 में 84
2018—19 में 87
2019—20 में 84
2020—21 में 97
2021—22 में 70
2022—23 में 79
2023-24 में 65, अबतक
केस स्टडी
राजधानी रांची में हाल के दिनों में हुई घटनाएं
7 फरवरी 24 : सोनाहातू थाना क्षेत्र के एदेलडीह गांव में मंगलवार की रात हाथियों के झुंड ने कालीचरण महतो के घर को ध्वस्त कर दिया. जामुदाग गांव के कृष्णा कोईरी, अशोक महतो, फनी महतो, विष्णु कोईरी, चंद्र सिंह मुंडा, रिजू कोईरी, संदीपक कोईरी के खेत में लगी फसल को नष्ट कर दिया.
5 फरवरी 24: सिमडेगा प्रखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों ने कई घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. रात में हाथियों ने रामलोल गांव निवपसी नामजन मड़की, जसलेन मड़की, जीदन मड़की एवं रोशन मड़की के घर को क्षतिग्रस्त कर दिया. घर में रखे अनाज को भी खा गए.
15 जनवरी 24 : गढ़वा के रंका और चिनियां प्रखंड के दो इलाके में 10 घरों को हाथियों ने ध्वस्त कर दिया.
रामगढ़ जिले के गोला वन क्षेत्र के सरगडीह व बड़की हेसल गांव में हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया. आधा दर्जन घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. तिजूराम महतो, भागीरथ बेदिया, फौदा प्रजापति, गुड्डू बेदिया, विश्वनाथ महतो, राजेश महतो का मकान क्षतिग्रस्त कर दिया. झुंड में 36 हाथी हैं, जिसमें से 6 बच्चे हैं.
8 जनवरी 24 : गढ़वा चिनिया थाना क्षेत्र के पाल्हे गांव में पांच घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. फसलों को नुकसान पहुंचाया.
17 जनवरी 24: रांची जिला अंतर्गत खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के पंच परगना क्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक बढ़ता जा रहा है. बुंडू थाना क्षेत्र के रेलाडीह खुदीमधुकम गांव में मंगलवार की रात जंगली हाथियों ने तिलका महतो के घर को क्षतिग्रस्त कर दिया. इससे नाराज ग्रामीणों ने राहे बुंडू रोड को घंटों जाम कर दिया.
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