विधायकों की तीन केटेगरी: जानिये किन्हें ढूंढता है मीडिया, कौन ढूंढते हैं पत्रकार और कौन हैं कर्मवीर
होली है.... तो चलिये सीधे झारखंड विधानसभा. यहां पाई जाती है विधायकों के तीन केटेगरी. एक वो हैं जिन्हें मीडिया खोज रहा है. जिन्हें सदन के अंदर से निकलते ही बाहर खड़े मीडिया वाले हाईजैक कर लेते हैं. दूसरे वो जो मीडिया को ढूंढते हैं कि काश कोई आकर बाइट ले ले. ताकी सदन के अंदर जो सवाल उठा कर आये हैं कम से कम उसे यहां और मसाला लगाकर बोल दें. तीसरी केटेगरी में वो माननीय हैं जो न दायें देखते हैं, न बायें सीधे गाड़ी में बैठकर निकल जाते हैं. क्योंकि ये न सदन के अंदर कुछ बोलते हैं और न बाहर. अगर कभी कुछ बोल भी दें तो आवाज इतनी हल्की होती है कि कुछ सुनाई नहीं पड़ता. अगर सुनाई पड़ भी गया तो वो अखबारों में नहीं छपता, न टीवी पर दिखता है. ये कर्मवीर केटेगरी वाले हैं. पहले पहली केटेगरी की बात करते हैं. इसमें शामिल नेताओं को विधानसभा से निकलते ही हाथों-हाथ लपका जाता है. बाहर पहले से घात लगाकर बैठे पत्रकार आते ही इनकी बाइट के लिए टूट पड़ते हैं. हाथों में सेल्फी स्टिक में मोबाइल फंसाकर, आड़ा तिरछा फ्रेम बनाकर हड़बड़ाते हुए कुछ नये-नये पत्रकार बंधु मंत्री और विधायक जी से सवालों की झड़ी लगा देते हैं. जब मंत्रीजी का इंटरव्यू टीवी या इंटरनेट पर चलता है तो मानो ऐसा लगता है कि रिपोर्टर झारखंड विधानसभा से नहीं सीधे एलओसी से भागते-भागते रिपोर्टिंग कर रहा है. और सवाल भी ऐसे-ऐसे पूछते हैं कि जवाब देने वाला मंत्री और विधायक भी हैरान हो जाता है कि आखिर आजकल के पत्रकार इतने और ऐसे-ऐसे सवाल लाते कहां से हैं. आखिर में उसे कहना पड़ता है बस कर पगले अब रुलाएगा क्या. पहली केटेगरी में हमारे सीएम हेमंत सोरेन, मंत्री रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, मिथिलेश ठाकुर, विधायक सीपी सिंह, इरफान अंसारी, प्रदीप यादव, सरयू राय, भानु प्रताप शाही, लोबिन हेंब्रम, बिरंची नारायण, अमर बाउरी, लंबोदर महतो, नीलकंठ सिंह मुंडा, नवीन जायसवाल, बंधु तिर्की और सुदेश महतो शामिल हैं. अब बात दूसरी केटेगरी की करते हैं. इसमें वैसे नेता शामिल हैं जो सदन से बाहर निकलते ही दरवाजे से थोड़ा हटकर खड़े रहते हैं. तबतक वहां बैठा आदमी माइक पर आवाज लगाता है माननीय फलां जी की गाड़ी पोर्टिको में लाई जाए. जबतक गाड़ी आती है तबतक माननीय की नजरें पत्रकारों की ढूंढती है. मानो कह रही हो आकर एक बाइट तो ले लो. उधर माननीय को भी कोई जल्दी नहीं होती कि गाड़ी कब आएगी. शायद ड्राइवर को पहले से निर्देश रहता होगा कि लाउड स्पीकर की आवाज सुनने के 10 मिनट बाद पहुंचना. जबतक गाड़ी आती है संयोग से माननीय दो-तीन पत्रकारों को निपटा चुके होते हैं. किसी को बाइट तो किसी को वन टू वन करने मौका मिल जाता है. दूसरी केटेगरी में विधायक अनंत ओझा, स्टीफन मरांडी, रणधीर सिंह, अमित मंडल, दीपिका पांडे सिंह, अमित यादव, उमाशंकर अकेला, अंबा प्रसाद, मनीष जायसवाल, बाबूलाल मरांडी, बिनोद सिंह, डॉ सरफराज अहमद, लंबोदर महतो, अनुप सिंह, राज सिन्हा, ढुल्लू महतो, सुदिव्य कुमार सोनू, राजेश कच्छप, मनीष जायसवाल शामिल हैं. अब बात तीसरी केटेगरी की. इस केटेगरी की लिस्ट जरा ज्यादा लंबी है. इन्हें न पत्रकार हाइजैक करते हैं और न ही इन्हें मीडिया में चेहरा दिखाने का कोई मोह माया है. इसमें कई मंत्री भी शामिल हैं. तीसरी केटेगरी में मंत्री बादल पत्रलेख, जगरनाथ महतो, जोबा मांझी, हफीजुल हसन, सत्यानंद भोक्ता, चम्पाई सोरेन, विधायक दिनेश विलियम मरांडी, नलिन सोरेन, नारायण दास, नीरा यादव, ममता देवी, जयप्रकाश भाई पटेल, किशुन कुमार दास, केदार हाजरा, अपर्णा सेनगुप्ता, पूर्णिमा नीरज सिंह, मथुरा महतो, समीर कुमार मोहंती, रामदास सोरेन, संजीव सरदार, मंगल कालिंदी, सविता महतो, दीपक बिरुआ, निरल पूर्ति, सोनाराम सिंकू, सुखराम उरांव, दशरथ गागराई, विकास मुंडा, कोचे मुंडा, समरी लाल, जिगा सुसारण होरो, भूषण तिर्की, चमरा लिंडा, भूषण बाड़ा, नमन विक्सल कोंगाड़ी, रामचंद्र सिंह, बैद्यनाथ राम, कुशवाहा शशिभूषण मेहता, आलोक चौरसिया, रामचंद्र चंद्रवंशी, पुष्पा देवी और कमलेश कुमार सिंह शामिल हैं. [wpse_comments_template]

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