रांची में तीन दिवसीय बांग्ला सांस्कृतिक मेला 9 मई से, CM करेंगे उद्घाटन

Ranchi : बंगाली युवा मंच चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में बिरसा मुंडा जेल पार्क, रांची में तीन दिवसीय बांग्ला सांस्कृतिक मेला का आयोजन 9 से 11 मई तक किया जाएगा. इस आयोजन का उद्घाटन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा किया जाएगा। मेले को लेकर पूरे शहर में उत्साह का माहौल है और खासकर बंगाली समुदाय में विशेष जोश देखा जा रहा है. प्रभात फेरी से होगा शुभारंभ, दिखेगा पारंपरिक रंग : मेला 9 मई को सुबह 9 बजे दुर्गा बाड़ी से निकलने वाली प्रभात फेरी से आरंभ होगा, जो एचपी रोड होते हुए बिरसा मुंडा जेल पार्क पहुंचेगी। इस प्रभात फेरी में महिलाएं पारंपरिक लाल पाड़ की साड़ी और पुरुष धोती-कुर्ता पहनकर भाग लेंगे. सबसे आगे कीर्तन मंडली होगी, जिसके पीछे फूल-मालाओं से सजे ट्रक पर रविंद्रनाथ टैगोर की तस्वीर, बांग्ला वर्णमाला और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की सजावट सांस्कृतिक गौरव को दर्शाएगी सांस्कृतिक रंगों से सजेगी शामें : हर शाम 6 बजे से स्थानीय कलाकारों द्वारा संगीत प्रस्तुतियां दी जाएंगी। शाम 7 बजे से कोलकाता से आए डांस ग्रुप `डांस गिल` और `मोहुल बैंड` अपनी नृत्य और संगीत प्रस्तुति से मंच को जीवंत बनाएंगे.10 मई को चित्रकला प्रदर्शनी और साहित्यिक व्याख्यान मेले के दूसरे दिन यानी 10 मई को सुबह 11 बजे से स्थानीय चित्रकारों द्वारा मेला थीम पर आधारित चित्रकला प्रदर्शनी लगाई जाएगी। शाम 5 बजे प्रसिद्ध बांग्ला लेखक समरेश बसु की जन्मशती के अवसर पर विदयान संस्था द्वारा एक विशेष साहित्यिक व्याख्यान आयोजित किया जाएगा. इसके बाद 7:30 बजे हास्य नाटक ‘यम एप’ का मंचन होगा और मल्हार कर्मकार बैंड संगीतमय समापन प्रस्तुति देगा. 11 मई को प्रतियोगिताएं और सम्मान समारोह : अंतिम दिन, 11 मई को सुबह 11 बजे से पेंटिंग और पारंपरिक बांग्ला परिधान प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी.शाम 6:30 बजे स्थानीय कलाकारों की संगीत प्रस्तुति के बाद, 7 बजे से सम्मान समारोह होगा. इस अवसर पर विशेष अतिथि डॉ. देवेश ठाकुर कविता पाठ करेंगे. मेले में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया जाएगा संस्कृतिक विरासत को संजोने की पहल : इस आयोजन को लेकर झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रांची और झारखंड के लोगों को इस सांस्कृतिक मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है. यह सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी समृद्ध विरासत को संजोने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है
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