Ranchi: जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ. नागपुरी गीतों से कार्यक्रम की शुरुआत की गई. इस अवसर पर नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नंद तिवारी ने कहा कि मातृभाषा को बचाने के लिये हमें अपनी संस्कृति को अपनाना होगा. हमें अपनी भाषा को चैलेंज के रूप में लेना होगा, क्योंकि जिस समाज की अपनी मातृभाषा और संस्कृति नहीं होती है. उस समाज की कोई पहचान नहीं होती है.
कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं पर रिसर्च को बढ़ावा देना होगा. इसके लिए प्राइमरी शिक्षा में क्षेत्रीय भाषा को लागु करना चाहिए. तभी स्कूल में क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा मिल सकेगा. वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए इन्हें तैयार करना होगा और भाषाओं का सरलीकरण करना होगा. खड़िया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ बन्धु भगत ने कहा कि भाषा समाज की प्रतिबिम्ब होती है. मुंडारी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनय मुण्डा ने कहा कि भाषा के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है.
मौके पर डॉ मेरी एस सोरेंग, डॉ कुमारी शशि, डॉ गीता कुमारी सिंह, डॉ रीझू नायक, डॉ दिनेश कुमार, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, करम सिंह मुंडा, डॉ दमयंती सिंकूू, डॉ बन्दे खलखो, अनुराधा मुण्डू, अबनेजर टेटे, शकुन्तला बेसरा, गुरूचरण पूर्ति, विक्की मिंज, प्रेम मुर्मू, राजकुमार बास्के, तारकेश्वर सिंह मुंडा समेत अन्य मौजूद थे.
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