NewDelhi : टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया कुश्ती के फाइनल में गोल्ड मेडल की लड़ाई हार गये हैं. उन्हें रूसी पहलवान ने मात दे दी, रवि को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ेगा. बता दें कि रवि ओलंपिक कुश्ती के फाइनल में पहुंचने वाले भारत के दूसरे पहलवान हैं. इससे पहले सुशील कुमार 2012 ओलंपिक में फाइनल में पहुंच कर सिल्वर मेडल जीत चुके हैं.
टोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रच नहीं पाये
भारत के पहलवान रवि कुमार दहिया टोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रच नहीं पाये. खिताबी मुकाबले में वर्ल्ड चैंपियन रूस के जावुर युगुऐव से उन्हें हार का सामना करना पड़ा, इस तरह वह सुशील कुमार के बाद कुश्ती में सिल्वर मेडल जीतने वाले भारत के दूसरे पहलवान बन गये हैं. 130 करोड़ भारतीयों की गोल्ड मेडल उम्मीद के साथ उतरे रवि अंत तक लड़े, लेकिन 7-4 से हार गये.
सेमीफाइनल मुकाबले में रवि ने गजब का प्रदर्शन किया
जान लें कि सेमीफाइनल मुकाबले में रवि ने गजब का प्रदर्शन किया था. उन्होंने कजाकिस्तान के नूरीस्लाम सनायेव को एक रोमांचक मुकाबले में शिकस्त दी. एक समय पर रवि 2-9 से पीछे चल रहे थे, लेकिन उन्होंने कुछ शानदार दांव लगाये और हारी हुई बाजी को पलट कर रख दिया और सिल्वर मेडल पक्का कर लिया.
दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में हुआ था. वो कड़ी मेहतन के बल पर आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, उसके पीछे उनकी 13 सालों की कठोर तपस्या है. यहां तक पहुंचने के लिए रवि और उनके परिवार ने कई कुर्बानियां दी हैं.
छोटी उम्र में ही पहलवानी में अपना लोहा मनवा लिया था.
रवि ने छोटी उम्र में ही पहलवानी में अपना लोहा मनवा लिया था. उन्होंने 2015 में जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद 2018 में अंडर 23 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया. 2020 में एशियाई कुश्ती में चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहे. इसके अलाव 2019 में नूर सुल्तान, कजाखस्तान में वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था और ओलंपिक का कोटा हासिल किया. लेकिन उस समय उनकी पहचान ऐसी नहीं थी जैसी आज है.