Mayank Vishwakarma
Latehar: नेतरहाट को छोटानागपुर की रानी कहा जाता है. यहां की आबोहवा सालों भर खुशगवार रहती है. कहते हैं कि जब अंग्रेज यहां पहली बार आये थे तो उस समय गर्मी का मौसम था. लेकिन नेतरहाट में उस मौसम में भी अंग्रेजों को यहां ठंड का एहसास हो रहा था. यही कारण है कि अंग्रेजों ने नेतरहाट में ग्रीष्मकालीन कैंप कार्यालय खोला था. लेकिन आज यहां परिस्थतियां कुछ बदली बदली नजर आ रही हैं. खास विगत कई वर्षों से नेतरहाट में भी गर्मियों के मौसम में पारा चढ़ रहा है. लोगों को गर्मियों में अब वह ठंडक नहीं मिल पा रही है तो आज से एक दशक पहले सैलानियों को मिलती थी. एसी कमरों की तलाश करते हैं पर्यटक नेतरहाट की नैसर्गिक खूबसूरती बरबस सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इसी प्राकृतिक सौंदर्य के कारण ही इसे छोटानागपुर की रानी कहा जाता है. पर्वत की श्रृखंलाओं के बीच उदय व अस्त होता सूरज लोगों को अपना मुरीद बनाते हैं. इसी कारण यहां सालों भर सैलानी आते हैं. गर्मियों के मौसम में भी यहां सैलानियों का तांता लगा रहता है. लेकिन विगत कई सालों से पड़ रही गर्मी ने नेतरहाट प्रतिकूल असर डाला है. यहां लोग पंखा, कुलर, एसी को छोड़कर खुली वादियों का आनंद लेने आते हैं. लेकिन नेतरहाट में पड़ रही गर्मियों के कारण लोग एसी वाला होटल और रूम खोज रहे हैं. नेतरहाट दुर्गा मंदिर से स्थित होटल ग्रीन प्लेस के संचालक गुप्ता ने बताया की अब जितने पर्यटक आ रहे हैं सभी एसी वाले रूम की ही मांग कर रहे हैं. ऐसे में सभी को एसी रूम का मुहैया कराना मुमकिन नहीं है. अधिक गर्मी होने के कारण पर्यटक एक दिन से अधिक यहां स्टे नहीं कर रहे हैं. मैंग्लोनिया प्वाईंट में लग रही है भीड़ हालांकि गर्मी के बावजूद नेतरहाट के मैंग्लोनिया प्वांईंट में सैलानियों की भीड़ लग रही है. इनमें अधिकांश सैलानी बंगाल के होते हैं. पूछे जाने पर कई बंगाली सैलानियों ने बताया कि वे पहले भी नेतरहाट आ चुके हैं. यहां की आबोहवा उन्हें बहुत अच्छी लगती है. लेकिन इस साल गर्मी बहुत अधिक है. इस कारण दो दिन में ही यहां से चले जायेंगे. पहले चार दिनों तक रहने का प्रोग्राम था. इसी प्रकार रांची के एक सैलानी ने बताया कि वे अपने दोस्तों के साथ बाइक से यहां आये हैं. सनसेट देखने के बाद वापस चले जायेंगे.
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