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GST घोटाले में शामिल व्यापारियों ने बाइक व स्कूटर पर ढोया 25-30 टन स्क्रैप

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Ranchi: जीएसटी घोटाले में शामिल व्यापारियों ने मोटरसाइकल और स्कूटर पर 25-30 टन स्क्रैप ढोने के कारनामे को अंजाम दिया. सिस्टम को बाईपास कर बगैर इवे-बिल के ही लोहा, कोयला सहित अन्य सामग्रियों को एक राज्य के व्यापारी से दूसरे राज्य के व्यापारी को बिक्री दिखाया. साथ ही कमीशन लेकर लास्ट यूजर को फर्जी जीएसटी बिल बेच दिया. इस बिल के सहारे लास्ट यूजर ने भी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ लिया.

 

जीएसटी घोटाले में ईडी ने मेसर्स पूजाशी इंटरप्राइजेज द्वारा मेसर्स तिरूमाला इंटरप्राइजेज को स्क्रैप की बिक्री दिखाने के लिए तैयार दस्तावेज की जांच की. इसमें पाया गया कि मेसर्स पूजाशी इंटरप्राइजेज ने 25-30 टन स्क्रैप मेसर्स तिरूमाला इंटरप्राइजेज को बेचने के लिए जीएसटी बिल जारी किया था. 


स्क्रैप की ढुलाई ट्रकों के सहारे दिखायी गयी थी. दस्तावेज में स्क्रैप की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किये गये ट्रकों का नंबर TN28AM9803 और UP21BM9302 दर्ज किया था. ईडी ने दस्तावेज में दिखाये गये इन ट्रकों की जांच की. इसमें TN28AM9803 नंबर वाली गाड़ी ट्रक, वास्तव में हीरो होंडा सीडी डॉन मोटर साइकिल पायी गयी. 25-30 टन स्क्रैप ढोने वाली UP21BM9302 नंबर की ट्रक भी मोटरसाइकिल निकली. 


इस तरह जीएसटी घोटाले में सामग्रियों की ढुलाई के लिए मनमाने तरीके से स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार आदि के नंबरों का इस्तेमाल किया गया. इन दोनों कंपनियों के बीच सामग्रियों को एक जगह से दूरी जगह तक पहुंचाने के लिए इवे-बिल नंबर 881020903915 और 831010780196 का इस्तेमाल दिखाया गया था. जांच के दौरान दोनों ही इवे-बिल फर्जी पाये गये.


ईडी ने मेसर्स पूजाशी से जुड़े इवे-बिल संख्या 711196176269 की जांच की. इस बिल के सहारे दिल्ली से हावड़ा स्क्रैप की ढुलाई दिखायी थी. स्क्रैप की ढुलाई के लिए ट्रक नंबर HR37E7267 का इस्तेमाल दिखाया गया था. 


ईडी ने सामग्रियों की इस ढुलाई के दावे की जांच के दौरान दिल्ली से हावड़ा तक के बीच के टोल प्लाजा से गुजर वाली गाड़ियों के नंबरों की जांच की. इसमें इस ट्रक को दिल्ली से हावड़ा जाने के लिए किसी टोल प्लाजा के क्रॉस करने का सूबत नहीं मिला. टोल प्लाजा से मिले ब्योरे की जांच के दौरान इस ट्रक का मूवमेंट सिर्फ हरियाणा से उत्तर प्रदेश के बीच पाया गया. यह ट्रक कभी दिल्ली नहीं गयी थी.


ईडी ने जांच में पाया कि फर्जी दस्तावेज के सहारे आइटीसी का लाभ लेने के लिए अधिकांश मामलों में एक-दो किलोमीटर के दायरे के लिए इवे-बिल जारी किया जाता था. स्थानीय स्तर पर सामग्रियों की ढुलाई के लिए जारी किये गये, इस तरह के इवे-बिल का इस्तेमाल एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच फर्जी तरीके से समाग्रियों की ढुलाई के लिए कागजी तौर पर दिखाया जाता था. इसका उद्देश जीएसटी घोटाले के सिंडिकेट में शामिल कंपनियों की बीच आइटीसी का अनुचित लाभ लेना है.

 

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