Ranchi : संक्रमित खून चढ़ाना भारतीय न्याय संहित (BNS) में निहित प्रावधानों के तहत संज्ञेय अपराध और दंडनीय है. चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को HIV संक्रमित थून चढ़ाना BNS की धारा 271 के दायरे में आता है. यह Cognizable Offence है. कानून में इसके लिए छह महीने जेल की सजा है. लेकिन चाईबासा में हुई इस घटना को Cognizable Offence मान कर किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है.
HIV संक्रमित खून चढ़ाने की घटना सामने आने के बाद सरकार ने इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने के लिए कई तरह के दिशा निर्देश जारी कियै हैं. मसलन Blood Replacement बंद करना, जांच के आधुनिक तरीकों को लागू किये बिना जांच बंद करना वगैरह. लेकिन चाईबासा ब्लड बैंक से HIV संक्रमित ब्लड चढ़ाने के मामले में ELISA TEST की मशीन रहने के बावजूद Rapid kit के इस्तेमाल की लापरवाही को अपराध के नजरिये से नहीं देखा जा रहा है.
राज्य में सरकारी या गैर सरकारी किसी ब्लड बैंक से किसी भी तरह संक्रमित खून नहीं चढ़ाया जाये इसके लिए कई तरह के नियम बनाये गये हैं. इन नियमों का पालन करना ब्लड बैंकों की बाध्यता है. सरकार के अलावा Safe blood Trasnfusion के लिए सरकार के अधीन चलने वाली कई निबंधित संस्थाएं हैं. इसमें Jharkhand Aids Control Socity (JACS) और State Blood Transfusion Council (SBTC) का नाम शामिल है.
SBTC का गठन ही Safe Blood Transfusion सुनिश्चित करने के लिए किया गया है. इसे राज्य सरकार की ओर से वित्तीय अनुदान मिलता है. इसे उपकरणों की खरीद Safe transfusion के लिए निर्धारित SOP के अनुपालन, Quality Control जैसे काम पर खर्च करना होता है.
चाईबासा में बच्चों को HIV संक्रमित Blood Transfusion के मामले में इस बात की भी जांच की जानी चाहिए कि इन संस्थाओं ने सरकार से मिली राशि का उपयोग Safe Blood Transfusion के लिए किया या नहीं. साथ ही इस बात की भी जांच की जानी चाहिए कि इन संस्थाओं ने अपनी जिम्मेवारियों सही तरी के निभाई या नहीं.

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