- जेएमएम विधायक सुदिव्य कुमार ने पूर्ववर्ती सरकार की सोच पर उठाया सवाल
- कहा, जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं हमारा सम्मान है न कि भीख
इसे भी पढ़ें-चारा">https://lagatar.in/no-scam-other-than-fodder-scam-tejashwis-question-agitated-over-the-punishment-of-his-father/">चाराझारखंडी हितों का ढोंग रचने वाली आजसू-भाजपा बताये कि क्या कारण था कि सरकार में रहते हुए उन्होंने जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को हर बार हाशिए पर लाने का काम किया था? क्या कारण था कि भाषा मे 100 अंक लाने पर अभ्यर्थियों को मात्र 7 अंक मिलता था। यह भाषाएँ हमारा सम्मान है, कोई भीख नही! pic.twitter.com/6dYsPFItfP
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— Sudivya Kumar (@kumarsudivya) February">https://twitter.com/kumarsudivya/status/1495682431818551298?ref_src=twsrc%5Etfw">February
21, 2022
घोटाले के अलावा कोई स्कैम नहीं हुआ? पिता को सजा पर भड़के तेजस्वी का सवाल
नियमावली में जोड़ने का उद्देश्य यही कि इसे जानने वाले ही सरकारी और तमाम चीजों में आगे आएं
लगातार">http://lagatar.in">लगातारमीडिया से बातचीत में गिरिडीह विधायक ने कहा है कि आज हेमंत सोरेन सरकार क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को प्रमुखता के साथ नियमावली में जोड़ने का उद्देश्य भी यही है कि इसे एक अलग पहचान मिले. उन्होंने कहा कि राज्य की भाषा-संस्कृति जानने वाले ही सरकारी नौकरी में आगे आएं. पूर्ववर्ती भाजपा-आजसू सरकार में राज्य की जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पूरी तरह से उपेक्षा होती थी. 91 से 100 प्रतिशत अंक लाने पर केवल 7 अंक ही दिये जाते थे. इन लोगों ने झारखंड को चारागाह समझ लिया था. इन विसंगतियों के समाधान का प्रयास आज हेमंत सरकार कर रही है. भविष्य में झारखंडी हितों में और भी बेहतर निर्णय लिये जाएंगे.
सुदिव्य कुमार ने कहा, जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं सम्मान हैं, कोई भीख नही!
तत्कालीन सरकार के गृह विभाग की एक अधिसूचना को ट्वीट करते हुए सुदिव्य कुमार ने आजसू-भाजपा से सवाल पूछा है. उन्होंने कहा है कि झारखंडी हितों का ढोंग रचने वाली दोनों पार्टियां बतायें कि क्या कारण था कि सरकार में रहते हुए उन्होंने जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को हर बार हाशिये पर लाने का काम किया था? क्या कारण था कि भाषा में 100 अंक लाने पर अभ्यर्थियों को सिर्फ 7 अंक मिलता था. यह भाषाएं हमारा सम्मान हैं, कोई भीख नही! इसे भी पढ़ें-16">https://lagatar.in/16-year-old-grand-master-pragnananda-raised-indias-pride-by-defeating-world-number-one-carlsen/">16साल के ग्रैंड मास्टर प्रागननंदा ने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी कार्लसन को हराकर भारत का मान बढ़ाया [wpse_comments_template]

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