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BJP-AJSU सरकार में हासिये पर थी जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं, सम्मान के साथ हेमंत सरकार दे रही पहचान- सुदिव्य

  • जेएमएम विधायक सुदिव्य कुमार ने पूर्ववर्ती सरकार की सोच पर उठाया सवाल
  • कहा, जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं हमारा सम्मान है न कि भीख
Ranchi : झारखंड में इन दिनों भाषा विवाद चरम पर है. धनबाद, बोकारो जैसे जिलों में भोजपुरी और मगही को हटाने को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ, उसे खत्म करने का एक बेहतरीन प्रयास हेमंत सोरेन सरकार ने किया. फिर भी प्रदेश भाजपा नेता हेमंत सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में हैं. बीजेपी उर्दू को सभी जिलों में जोड़ने पर हेमंत सरकार पर हमलावर हैं. राज्य सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगा रहे हैं. इन सबसे से अलग जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की स्थिति भाजपा और आजसू सरकार में क्या थी, इस पर वे बात नहीं कर रहे हैं. इन भाषाओं की स्थिति तत्कालीन सरकार में क्या थी, यह किसी से छिपी नहीं है. ठीक ऐसा ही एक आरोप जेएमएम के गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार ने लगाया हैं. उन्होंने कहा है कि भाजपा- आजसू सरकार में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को हासिये पर रखा जाता था. इसे भी पढ़ें-चारा">https://lagatar.in/no-scam-other-than-fodder-scam-tejashwis-question-agitated-over-the-punishment-of-his-father/">चारा

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नियमावली में जोड़ने का उद्देश्य यही कि इसे जानने वाले ही सरकारी और तमाम चीजों में आगे आएं

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से बातचीत में गिरिडीह विधायक ने कहा है कि आज हेमंत सोरेन सरकार क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को प्रमुखता के साथ नियमावली में जोड़ने का उद्देश्य भी यही है कि इसे एक अलग पहचान मिले. उन्होंने कहा कि राज्य की भाषा-संस्कृति जानने वाले ही सरकारी नौकरी में आगे आएं. पूर्ववर्ती भाजपा-आजसू सरकार में राज्य की जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पूरी तरह से उपेक्षा होती थी. 91 से 100 प्रतिशत अंक लाने पर केवल 7 अंक ही दिये जाते थे. इन लोगों ने झारखंड को चारागाह समझ लिया था. इन विसंगतियों के समाधान का प्रयास आज हेमंत सरकार कर रही है. भविष्य में झारखंडी हितों में और भी बेहतर निर्णय लिये जाएंगे.

सुदिव्य कुमार ने कहा, जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाएं सम्मान हैं, कोई भीख नही!

तत्कालीन सरकार के गृह विभाग की एक अधिसूचना को ट्वीट करते हुए सुदिव्य कुमार ने आजसू-भाजपा से सवाल पूछा है. उन्होंने कहा है कि झारखंडी हितों का ढोंग रचने वाली दोनों पार्टियां बतायें कि क्या कारण था कि सरकार में रहते हुए उन्होंने जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को हर बार हाशिये पर लाने का काम किया था?  क्या कारण था कि भाषा में 100 अंक लाने पर अभ्यर्थियों को सिर्फ 7 अंक मिलता था. यह भाषाएं हमारा सम्मान हैं, कोई भीख नही! इसे भी पढ़ें-16">https://lagatar.in/16-year-old-grand-master-pragnananda-raised-indias-pride-by-defeating-world-number-one-carlsen/">16

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