Ranchi : आदिवासी सेना केंद्रीय कमेटी ने आदिवासियों की जमीन लूट, फर्जी मुकदमा और स्थानीय नीति के संबंध में मंगलवार को धरना-प्रदर्शन किया. यह धरना राजभवन के सामने दिया गया. धरने पर बैठे सेना के लोगों ने कहा कि झारखंड बने 20 साल हो गया है, पर आज भी झारखंड में आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है. जल, जंगल, जमीन को लेकर आदिवासियों के साथ किसी भी सरकार ने न्याय नहीं किया है. इसी को देखते हुए आज आदिवासी सेना धरना देने को मजबूर है. प्रदर्शन में उन्होंने मुख्य रूप से जमीन के मामलों को उठाया. उनका कहना है कि आदिवासियों की जमीन को गलत तरीके से बंदोबस्ती करके दूसरे समाज के लोगों को बेचा जा रहा है. इस कार्य में झारखंड के अंचल कार्यालय से लेकर डीसी, एलआरडीसी तक के अधिकारी शामिल हैं. इसके साथ ही इन मामलों को लेकर जो समाजसेवी लड़ाई लड़ते हैं, उनके ऊपर गलत आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज किया जा रहा है. यह बंद होना चाहिए. इस अवसर पर उन्होंने अपनी मांगों का ज्ञापन राज्यपाल को भी सौंपा.
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मांगे पूरी नही होने पर सड़कों पर भी उतरेंगे – महासचिव
प्रदर्शन के दौरान सेना के महासचिव अल्बिन लकड़ा ने कहा कि लगातार आदिवासियों की जमीनों की लूट और अवैध कब्जे किए जा रहे हैं. इस पर सरकार को संज्ञान लेते हुए रोक लगानी चाहिए. ताकि हमारी जमीन को बचाया जा सके. अगर सरकारी इन मामलों में संज्ञान नहीं लेती है, तो हम आंदोलन और बड़ा करेंगे. जहां हमारी सुनवाई हो हर जगह अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपेंगे और कुछ कार्रवाई ना होने पर सड़कों पर भी उतरेंगे.
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इन मांगों को लेकर आदिवासी सेना ने दिया धरना
1. आदिवासी उद्यमियों को लोन देने में पुराना जाति प्रमाण पत्र को मान्यता दी जाए.
2. 50,000 तक का लोन डायरेक्ट दिया जाए.
3. स्थानीयता नीति का आधार 1932 का खतियान माना जाए.
4. असली झारखंडी की पहचान 1932 के खतियान के आधार पर हो.
5. पथलकुदवा जमीन वापसी के लिए लड़ाई लड़ने वाले आदिवासियों पर हुए झूठे मुकदमे को वापस लिया जा.
6. आदिवासी भाषा साहित्य अकैडमी की स्थापना की जाए
7. 2013 के भूमि अधिग्रहण पुनर्वास की धारा 24/2 लागू की जाए.
8. 2006 का वन अधिकार लागू कानून लागू किया जाए.
9. झारखंड राज्य विस्थापित प्रभावित आयोग का गठन हो.
10. ठेका, पट्टा या टेंडर आदि का लाइसेंस ₹1 में दिया जाए.
11. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 को लागू किया जाए.
12. आदिवासी जमीनों की लूट बंद हो.
13. हक-अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों पर झूठा मुकदमा बंद हो.
14. पलायन पर रोक लगायी जाए.
15. आदिवासी लड़कियों के ट्रैफिकिंग रोकने के लिए नीति बनायी जाए और
16. नियोजन नीति में स्थानीयता को प्राथमिकता दी जाए.
ये रहे मौजूद
मौके पर मुख्य रूप से कमिटी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कच्छप,महिला मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष कुमुदिनी केरकेट्टा, महिला मोर्चा के उपाध्यक्ष मरियम लकड़ा, सचिव सबिता लकड़ा, आदिवासी सेना के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल उरांव, केंद्रीय महासचिव अल्विन लकड़ा, रामा महली चिलगु कच्छप, कृष्णा लकड़ा, अमरनाथ लकड़ा, विपिन लकड़ा, गोविंद टोप्पो, राज कच्छप, अजीत लकड़ा, कृष्णा धर्मेश लकड़ा, मनसा बड़ाइक, सहित अन्य उपस्थित रहे.
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