Advertisement

गांवों में शराब दुकान खोलने के फैसले का आदिवासी संगठनों ने किया विरोध, राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

Ranchi :  झारखंड सरकार द्वारा अनुसूचित क्षेत्र के गांवों में शराब दुकानों को खोलने के निर्णय के खिलाफ विरोध की आवाज़ें तेज़ हो गई हैं. शनिवार को पूर्व मंत्री देव कुमार धान के नेतृत्व में आदिवासी संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और इस प्रस्ताव को तत्काल रद्द करने की मांग की.

 

ज्ञापन में कहा गया है कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत संरक्षित क्षेत्रों में शराब बिक्री की अनुमति देना आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक ढांचे पर सीधा आघात है. प्रतिनिधियों ने मांग की कि इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए.साथ ही यदि सरकार शराब दुकानें खोलना चाहती है, तो शहरी क्षेत्रों की दुकानों में आदिवासी समुदाय के लोगों को आरक्षण दिया जाए.

 

माफिया और भ्रष्टाचार पर भी उठाए सवाल : प्रतिनिधिमंडल ने बालू के अवैध कारोबार और उससे जुड़े भ्रष्टाचार को लेकर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि एक हाईवा बालू की कीमत वर्तमान में 46,000 रुपये तक पहुंच गई है, जिसमें से लगभग 26,000 रुपये की रिश्वत पुलिस और बालू माफियाओं को देनी पड़ती है. इस कारण गांवों में निर्माण कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं.

 

प्रतिनिधियों ने सभी लघु खनिजों - जैसे बालू, गिट्टी, मिट्टी और मोरम पर ग्राम सभाओं को पूर्ण अधिकार देने की मांग की, ताकि स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय समुदाय का नियंत्रण स्थापित हो सके.

इस अवसर पर देव कुमार धान के साथ प्रेमशाही मुंडा, फुलचंद तिर्की, अभय भुटकुंवर और रमेश उरांव सहित कई अन्य नेता भी उपस्थित थे.

Ad slot Ad slot