आदिवासी संगठनों का क्या है कहना
धरना पर बैठे आदिवासी संगठनों ने कहा कि हमारी लड़ाई अपनी सभ्यता, संस्कृति और जल-जंगल- जमीन बचाने की है. हम आदिवासियों की पहचान ही हमारी जमीन, हमारी संस्कृति और जल- जंगल- जमीन है. हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए धरना पर बैठे हैं. हमारी मांग है कि सर्वे सेटेलमेंट 1935 में चिन्हित आदिवासियों के धार्मिक और सामाजिक स्थानों को चिन्हित और सीमांकन कर उन्हें संरक्षित किया जाए. इसे भी पढ़ें – नशा">https://lagatar.in/khunti-police-action-against-drug-trade-destroyed-opium-cultivation-in-641-81-acres/">नशाकारोबार के खिलाफ खूंटी पुलिस की कार्रवाई, 641.81 एकड़ में लगी अफीम की खेती को किया नष्ट [wpse_comments_template]

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