Ranchi : आदिवासी रैयतों ने आज नगड़ी जमीन बचाव संघर्ष समिति के बैनर तले राजभवन के समक्ष कांके प्रखंड स्थित नगड़ी मौजा में रिम्स-2 निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल खेती योग्य जमीन पर ना बनाकर बंजर भूमि पर बनाने की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.
उपजाऊ जमीन का जबरन किया गया अधिग्रहण
प्रदर्शनाकारियों ने कहा कि नगड़ी में रिम्स 2 बनाने के लिए आदिवासियों की लगभग 200 एकड़ उपजाऊ जमीन को जबरन अधिग्रहण किया गया है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि वे विकास विरोधी नहीं हैं. लेकिन विकास की आड़ में अपनी जीवनरेखा खेती-बाड़ी की बलि नहीं दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज अब चुप नहीं बैठेगा. उनकी जमीन पर सिर्फ उनका हक है. इसके लिए वे आखिरी सांस तक लड़ेंगे.
खेती योग्य जमीन ले लेंगे तो पेट कौन भरेगा
धरने में शामिल भगलु उरांव ने बताया कि उनकी 12 एकड़ जमीन अधिग्रहण कर ली गई है. वहीं रैयत किशन कुजुर ने कहा कि उनकी खेती योग्य जमीन यानी कुल चार खेत को ले लिया गया है. रैयत महादेव उरांव ने बताया कि सरकार ने उनकी तीन एकड़ खानदानी जमीन का अधिग्रहण किया है, जिसका खाता नंबर 286 है. बताया कि वे इस जमीन पर धान की खेती करते हैं. इससे साल भर का अनाज हो जाता है. मंगु टोप्पो ने बताया कि 2012-13 में रिंग रोड में दस एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था, जिसका मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. वहीं मन्तु उरांव ने कहा कि पहले लॉ यूनिवर्सिटी बनाने के लिए 8 एकड़ जमीन ले ली गयी. वहीं अब रिम्स-2 बनाने के लिए 4 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. सरकार ने खाता 174, 111 समेत कुल चार प्लॉट का अधिग्रहण कर लिया है. उन्होंने कहा कि खेती करने वाली जमीन छिन जायेगी तो हम क्या खाएंगे और अपनी आजीविका कैसे चलायेंगे.
नगड़ी वासियों को राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व का मिला समर्थन
जमीन अधिग्रहण के विरोध में चल रहे आंदोलन को व्यापक राजनीतिक और सामाजिक समर्थन मिला रहा है. कई पूर्व मंत्री, राजनीतिक दलों के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता धरनास्थल पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को समर्थन दिया और सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की. इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, पूर्व मंत्री देवकुमार धान, भारत आदिवासी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा, महिला अध्यक्ष कुंदरसी मुंडा, निरंजना हेरेंज, फूलचंद तिर्की, बलकु उरांव, रंजित टोप्पो, पवन कुमार, प्रकाश मुंडा और सामाजिक कार्यकर्ता संगीता कच्छप शामिल थे. नेताओं ने कहा कि जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़कर नेता बने लोग सत्ता में आने के बाद इन्हीं संसाधनों का सौदा कर देते हैं, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बरसात का मौसम शुरू हो चुका है और ग्रामीण अपने खेतों में धान की बिचड़ा छिटने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में जमीन अधिग्रहण किसी भी हाल में मंजूर नहीं है.
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें :
रिम्स-2 परियोजना के लिए चल रहा अधिग्रहण अविलंब रोका जाए.
रिम्स-2 का निर्माण बंजर भूमि पर किया जाए, न कि उपजाऊ कृषि भूमि पर.
जिन किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई है, वह उन्हें वापस की जाए.
भविष्य में ग्रामसभा की सहमति के बिना कोई भी भूमि अधिग्रहण न किया जाए.