चौबे की सभी रिपोर्ट नेफ्रोलॉजी विभाग भेजी गयी, डॉक्टर्स कर रहे विचार
बिल में ये है मुख्य बदलाव
स्टूडेंट यूनियन की जगह अब स्टूडेंट काउंसिल होगा. कुलपति और प्रतिकुलपति की तरह अब रजिस्ट्रार की नियुक्ति भी राज्यपाल करेंगे. कुलपति का कार्यकाल 3 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है. आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष कार्यकर्ता दया बहुरा ने बिल के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें होने वाले ये बदलाव छात्र हितों के खिलाफ हैं.आदिवासी छात्र संघ की आपत्ति
आदिवासी छात्र संघ का कहना है कि पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों के संचालन का अधिकार राज्यपाल से वापस ले लिया है. लेकिन झारखंड में इसके विपरीत कदम उठाया जा रहा है. यदि राज्य सरकार के अधीन ये जिम्मेदारी नहीं रहेगी, तो विश्वविद्यालय केंद्र सरकार के नियमों के तहत संचालित होंगे, जिसका स्थानीय संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इससे झारखंडी विचारधारा की कमी हो सकती है. संघ का यह भी कहना है कि अगर स्टूडेंट लीडर नहीं होंगे, तो विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकेगा. रांची कॉलेज, जो झारखंड के विद्यार्थियों के लिए राजनीति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, अगर इस बदलाव का सामना करेगा, तो यह विद्यार्थियों के रोजगार अवसरों को प्रभावित कर सकता है. आदिवासी छात्र संघ ने राज्यपाल सचिवालय को इस मुद्दे पर पुनः विचार करने के लिए आवेदन दिया है. संघ ने चेतावनी दी है कि यदि इस पर कोई सुनवाई नहीं होती है, तो वे एक हफ्ते बाद आंदोलन करेंगे. इसे भी पढ़ें -सुप्रीम">https://lagatar.in/supreme-court-stays-sentencing-of-forest-officers-convicted-of-contempt/">सुप्रीमकोर्ट ने कंटेम्प्ट के दोषी फॉरेस्ट अफसरों के खिलाफ सजा सुनाने पर रोक लगायी
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