Ranchi: लातेहार, चाईबासा और कोल्हान क्षेत्र से आए हजारों आदिवासी और मूलवासी ग्रामीणों ने शनिवार को राजभवन के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग थी कि उन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा प्रदान किया जाए, जबरन बेदखली पर रोक लगे और सरकार द्वारा किए गए वादों को अविलंब पूरा किया जाए.
वादों को पूरा करो, जमीन हमारी छोड़ो जैसे नारों से राजभवन परिसर गूंज उठा. प्रदर्शन में शामिल लोगों का आरोप है कि वे वर्षों से जिस ज़मीन पर खेती कर रहे हैं, अब उन्हें वहां से बेदखल किया जा रहा है और आज तक उन्हें वैध वन अधिकार पट्टा नहीं मिला है.
चाईबासा से आई हेलेंदी सुंडील ने कहा कि आज भी हमारे गांवों में आंगनबाड़ी की सुविधा तक नहीं पहुंची है. सरकार की योजनाएं केवल कागजों पर चल रही हैं.
लातेहार से आए सत्यनारायण भगत ने बताया कि हम 10–15 सालों से उस जमीन पर खेती कर रहे हैं, लेकिन अब तक वन पट्टा नहीं मिला है. दलालों और माफिया के इशारे पर प्रशासन हमें उजाड़ने में लगा है.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हजारों आदिवासी आज विस्थापन के कगार पर खड़े हैं. सरकार एक ओर आदिवासी संस्कृति और सरना धर्म की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीन छीने जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं.
प्रशासन पर अनदेखी का आरोप : धरना स्थल पर मौजूद धरम वाल्मिकी और संजय यादव ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब हम वन अधिकार पट्टा की मांग लेकर जाते हैं, तो केवल आश्वासन मिलता है. अधिकारी मापी और जांच के लिए मौके पर नहीं आते.
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं
- जंगलों में रह रहे लोगों को तत्काल वन अधिकार पट्टा दिया जाए
- गैरमजरुआ जमीन को 'लैंड बैंक' से बाहर किया जाए
- जबरन बेदखली की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगे
- संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत पेसा कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है.