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ट्राइबेकार्ट आदिवासी उद्यमियों के सशक्तीकरण की दिशा में एक कदम

Ranchi : ट्राइबेकार्ट आदिवासी लोगों के पुनरुद्धार के लिए एक ऐसा मच है जिसमें लोगों को उनकी कला- संस्कृति, भाषा, परंपरा तथा जमीनी जुड़ाव को बनाये रखते हुए अपना आर्थिक कल्याण करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.ट्राइबेकार्ट आदिवासी उद्यमियों के सशक्तीकरण की दिशा में एक कदम है. यह उन्हें आर्थिक सशक्तीकरण प्रदान करता  है और उनके सपनों एवं व्यक्तित्व को नया आयाम देता है. ट्राइबेकार्ट स्वदेशी लोगों के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए एक अंतर जनजाति व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की इच्छा रखता है. यह एक आंदोलन है जिसमें आदिवासियों द्वारा "स्वदेशी लोगों" के माध्यम से एक किफायती और वाणिज्यिक मंच स्थापित कर आदिवासियों को उनकी आय बढ़ाने के लिए अपग्रेड करना तथा बाजार में जगह देना है. इस कार्यक्रम का आयोजन रेजी डुगडुंग (सेवानिवृत्त आईपीएस )  के द्वारा किया गया. इसे भी पढ़ें-झारखंड">https://lagatar.in/jharkhands-identity-is-water-forest-and-land-dr-shashi-bhushan-mehta/">झारखंड

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तीन दिवसीय आयोजन 

इसका आयोजन  25 मार्च से 27 मार्च  तक अदन वाटिका कुटियातू, नामकुम, रांची में किया गया. 10,000 से अधिक लोगों ने आयोजन स्थल का दौरा किया, जहां 100 से अधिक उद्यमियों ने स्टाल लगाये. जिसमें वस्त्र उद्योग, पारंपरिक कपड़े, अचार, खाद्य स्टाल, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी, हरियाली संयंत्र,बागवानी स्टॉल तथा बुक स्टॉल शामिल थे. ट्राइबेकार्ट के संस्थापक मनीष आईंद ने कहा कि ट्राइबेकार्ट का यह दृष्टिकोण है, "चलो एक साथ उठे", हम उद्यमी बनकर और अपने समुदाय का साथ देकर अपने आदिवासी भाइयों और बहनों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करें. [wpse_comments_template]  

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