KAUSHAL ANAND
Ranchi:हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार और राज्य पिछड़ा आयोग नगर निकाय चुनाव की तैयारी में जुट गयी है. लोकसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान भी आयोग की टीम अपने काम में जुटी रही. आयोग की एक टीम मध्य प्रदेश गयी थी, जहां पर सरकार ने ट्रिपल टेस्ट कराया था. यह टीम मध्य प्रदेश में अध्ययन करके वापस झारखंड लौट चुकी है. टीम ने अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपी. जिसकी समीक्षा करने के बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है. सरकार के साथ-साथ आयोग भी चार जून का इंतजार कर रही है. चार जून को आचार संहिता खत्म होने के बाद आयोग राज्य के कुल 48 नगर निकाय में ट्रिपट टेस्ट कराएगी. ट्रिपल टेस्ट के जरिए सरकार राज्य में रह रहे पिछड़ा वर्ग के लोगों की गणना की करायेगी.
एमपी की तर्ज होगी पिछड़ों की गणना
पिछले साल मध्य प्रदेश सरकार ने ट्रिपल टेस्ट कराकर पिछड़ों की गणना करायी थी. इसलिए राज्य पिछड़ा आयोग ने अपनी टीम को मध्य प्रदेश भेजा था ताकि ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया और बारिकियों को समझा जा सके. आयोग की टीम मध्य प्रदेश में अध्ययन करके वापस लौट गयी और अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप दी. आयोग ने ट्रिपल टेस्ट कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है और अध्ययन रिपोर्ट भी सौंप दी है. सरकार चार जून का इंतजार कर रही है.
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– मध्य प्रदेश गई पिछड़ा आयोग की टीम ने अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप दी है.
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– चुनाव बाद सरकार की अनुमति मिलने पर आयोग जून में करायेगा ट्रिपल टेस्ट.
48 निकायों में पिछड़ों की होगी गणना
सरकार की अनुमति मिलने के बाद आयोग राज्य के सभी 48 निकायों में पिछ़डे वर्ग की गणना कराएगी. इस दौरान पिछड़ों के आर्थिक स्थिति की भी गणना की जाएगी. आयोग ने दावा किया है कि सरकार की अनुमति प्रदान होते ही वह ट्रिपल टेस्ट का काम 15 दिनों में पूरी कर लेगी. इसके बाद 48 नगर निकायों के विभिन्न वार्डों को चिह्नित कर एक रिपोर्ट दी जायेगी कि कौन सा वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित होगा.
रांची के लेकर सवाल
फिलहाल रांची नगर निगम का मेयर सीट आदिवासी के लिए आरक्षित है. सरकार ट्रिपल टेस्ट कराने जा रही है. अगर रांची नगर निगम क्षेत्र में ओबीसी की आबादी आदिवासियों से अधिक हुई तो यह सीट आदिवासियों के हाथ से निकल जाएगी. इसके बाद नया विवाद खड़ा होने की संभावना है. क्योंकि पिछले साल यही विवाद उत्पन्न हुआ तो सरकार ने नगरपालिका अधिनियम में संसोधन करके रांची सहित कई मेयर और नगरपालिका अध्यक्ष की सीट को एसटी-एसटी के लिए आरक्षित कर दिया था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया.
सरकार पर है दोहरा दबाव
सरकार ने पिछले साल ही चुनाव की घोषणा कर दी थी. जिसमें रांची मेयर समेत कई नगर निकाय सीट एसटी-एससी के लिए आरक्षित कर दिया गया था. इसे आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रिपट टेस्ट कराने के बाद ही नगर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया. इसके बाद निकाय चुनाव टल गया. इधर झारखंड हाईकोर्ट में निवर्तमान पार्षद व भाजपा नेत्री रौशनी खलखो एवं अन्य ने जल्द चुनाव कराए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर किया था. जिसमें कोर्ट ने सरकार को जल्द से जल्द चुनाव कराने का निर्देश दिया है.
28 अप्रैल को समाप्त हो चुका है कार्यकाल
रांची नगर निगम समेत राज्य के 34 नगर निकायों का कार्यकाल 28 अप्रैल को समाप्त हो गया है. इसके बाद सरकार नगर निकायों में जनता द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधियों के अधिकार समाप्त हो गया. निकायों के बोर्ड भी भंग हो गए हैं. इसके बाद मेयर, डिप्टी मेयर, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वार्ड पार्षद सभी अधिकारविहीन हो गए हैं. यहां तक कि नगर निकायों की ओर से वाहन, वेतन सहित मिलनेवाले सभी भत्ते भी बंद हो गये हैं. इतना ही नहीं शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राज्य को मिलने वाली अनुदान एवं अन्य योजनाओं की राशि भी मिलना झारखंड को बंद हो गया है.
एमपी की तर्ज पर ही होगा ट्रिपल टेस्टः
मध्य प्रदेश से अध्ययन करके हमारी टीम रांची लौट चुकी है. एमपी की तर्ज पर ही यहां पर ट्रिपल टेस्ट होगा. अध्ययन रिपोर्ट सरकार को सौप दी गयी है. संभवत : सरकार चार जून के बाद अनुमति प्रदान कर दे. सरकार के अनुमति मिलते ही गणना का काम शुरू कर दिया जाएगा. अधिक से अधिक 15 से 20 दिन में आयोग यह काम पूरा लेगा, क्योंकि केवल शहरी इलाकों मे ही गणना की जानी है. इसलिए कोई अधिक मुश्किल नहीं होगी. (योगेंद्र प्रसाद, अध्यक्ष झारखंड राज्य पिछड़ा आयोग)