Girirsh Malviya
कल देश का सबसे बड़ा बैकिंग घोटाला सामने आया है. इस घोटाले की रकम 34 हजार 615 करोड़ है. क्या न्यूज चैनलों पर आपने इस घोटाले की कोई हेडलाइन/ब्रेकिंग न्यूज सुनी? सीबीआई ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई में 17 बैंकों के समूह के साथ कथित 34,615 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लि. (DHFL) के तत्कालीन चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, निदेशक धीरज वधावन के खिलाफ केस दर्ज किया है.
दरअसल इस घोटाले की खबर देश के न्यूज चैनल आपको प्रमुखता के साथ बताएंगे भी नही ! क्योंकि यह पूरा घोटाला न सिर्फ मोदी राज (न खाऊंगा न खानें दूंगा फेम) में हुआ, बल्कि इस घोटाले में सामने आई एक फर्म ने बीजेपी को 20 करोड़ का चंदा भी दिया.
अब से पहले कोई भी घोटाला सामने आया, चाहे वह नीरव मोदी का हो, माल्या का हो या एबीजी शिपयार्ड का, इन सबके बारे में कुछ लोग बमक कर कह देते थे कि ये तो 2014 से पहले के घपले घोटाले हैं. लेकिन यह सुविधा इस घोटाले में बिल्कुल भी उपलब्ध नही है. सीबीआई के मुताबिक, कपिल और धीरज ने 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के ‘फर्जी व काल्पनिक’ गृह ऋण मंजूर किए. साथ ही इसके लिए पीएमएवाई के तहत सरकार से 1,880 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी भी हासिल कर ली.
ऐसा नहीं कह सकते कि वधावन परिवार ने इसके बदले कुछ नही दिया. डीएचएफएल से जुड़ी वधावन परिवार की शैल टाइप की कंपनियों ने जिसमें आरके डब्ल्यू डेवलपर्स, स्किल रियल्टर्स व दर्शन डेवलपर्स शामिल हैं. उन्होंने बीजेपी को लगभग 20 करोड़ का चंदा दिया था. वित्तीय वर्ष 2014-15 में आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स ने भाजपा को 10 करोड़ रुपये का योगदान दिया. स्किल रियल्टर्स ने भी इसी साल में बीजेपी को 2 करोड़ रुपये का चंदा दिया. वर्ष 2016-17 में दर्शन डेवलपर्स ने बीजेपी पर 7.5 करोड़ रुपये लुटाए. यह सब ऑन रिकार्ड है. हो सकता है कि 2018 के बाद और भी चंदा दिया हो. लेकिन उसका पता कभी भी नही लगेगा. क्योंकि राजनीतिक दल को चंदा देने में इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था लागू कर दी गई है.
इस घोटाले का भांडा 29 जनवरी 2019 को खोजी पत्रकारिता से जुड़ी वेबसाइट कोबरापोस्ट ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर ‘द एनाटॉमी ऑफ इंडियाज बिगेस्ट फाइनेंशियल स्कैम’ की रिपोर्ट जारी कर के फोड़ा था. उस वक्त कोबरापोस्ट ने इसे देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला बताया था. लेकिन कौन ध्यान देता ? अगले कुछ महीनों में आम चुनाव थे, घोटाले की खबर उछलने पर बीजेपी को नुकसान होता इसलिए इसे दबा दिया गया.
अंत में एक बात और समझ लीजिए कि ऐसा नही है कि ऐसे घपले घोटालों से आपकी हमारी जेब पर कोई नुकसान नही होता …उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (यूपीपीसीएल) के कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम को गलत तरीके से जिस कम्पनी में निवेश किया गया था वह कंपनी वही DHFL ही थी 2017 से अब तक यूपीपीसीएल ने 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिटायरमेंट फंड हाउसिंग फाइनेंस कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में निवेश किया है. इसमें से यूपीपीसीएल को केवल 1,855 करोड़ रुपये ही मिले हैं…यानि दो हजार करोड़ से ज्यादा का तो कर्मचारियों का पीएफ स्वाहा हो गया है इस घोटाले में….. फिर भी बेशर्मों की तरह दांत चियारते हुए अंधभक्त बोलेंगे इसमें मोदी जी की किया गलती! उन के कौन से बाल बच्चे है…
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.