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विजयादशमी पर बन रहे दो शुभ संयोग, जानें रावण दहन का समय और पूजा विधि

Lagatar Desk :    हर साल आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे देश में दशहरा/विजयादशमी/आयुधपूजा का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में जाना जाता है. इस वर्ष दशहरा 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा.

 


हिन्दू पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि  01 अक्टूबर की शाम को 07:01 बजे से प्रारंभ हो गया है, जो आज 2 अक्टूबर को शाम 07:10 बजे तक रहेगी. हिंदू मान्यता के अनुसार, रावण दहन प्रदोष काल में करते हैं. ऐसे में रावण दहन का मुहूर्त सूर्यास्त (शाम 06:03 बजे) से लेकर 07:10 बजे तक रहेगा.

 


हिंदू धर्म में दशहरा का खास महत्व है. इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन ही भगवान राम ने लंका नरेश रावण का वध करके माता सीता को बचाया था. इसलिए इस दिन रावण दहन भी किया जाता है.

विजय मुहूर्त पर शस्त्र पूजा करने की भी है मान्यता 

दशहरा के दिन विजय मुहूर्त में शस्त्र पूजा करने की भी मान्यता है. इस बार शस्त्र पूजा करने का शुभ समय दोपहर में 2 बजकर 09 मिनट से दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक है. 

 

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विजय दशमी पर बन रहे दो शुभ संयोग

इस बार विजय दशमी पर दो शुभ संयोग (रवि और श्रावण नक्षत्र योग) बन रहे हैं. रवि योग दशहरा को पूरे दिन रहेगा. वहीं श्रावन नक्षत्र योग 2 अक्तूबर को सुबह 9:14 बजे से प्रारंभ होकर 3 अक्तूबर को सुबह 9:34 बजे तक रहेगा.  

 


रवि योग में पूजा करने से सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं. इस योग में किए गए कार्य में अधिक सफलता मिलने की उम्मीद रहती है.  श्रवण नक्षत्र विजयादशमी के दिन बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि दशमी तिथि और श्रवण नक्षत्र के योग से ही दशहरा मनाए जाने की परंपरा है.

 


दशमी तिथि और श्रवण नक्षत्र का एक साथ होना विजयादशमी के पर्व को अत्यंत शुभ और कल्याणकारी बनाता है. यह संयोग ही दशहरा मनाने का शास्त्रीय आधार है.

भगवान राम ने इसी दिन किया था रावण का वध

हिंदू मान्यता के अनुसार, रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था. इसके बाद रावण और प्रभु श्रीराम के बीच दस दिनों तक युद्ध चला था. अंत में आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण का अंत कर दिया था. 

 


रावण की मृत्यु को असत्य पर सत्य और न्याय की जीत के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. प्रभु राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए यह दिन को विजया दशमी भी कहते हैं. दशहरे पर रावण का पुतला दहन कर भगवान श्रीराम की लंकापति रावण पर जीत की खुशी मनायी जाती है. यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है.

 

 

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मां दुर्गा ने विजय दशमी के दिन महिषासुर का किया था अंत

हिंदू धर्म के अनुसार, नवरात्र में मां दुर्गा ने नौ दिनों तक असुरों के स्वामी महिषासुर से युद्ध किया था. दशमी के दिन मां ने उस असुर का वध कर विजय प्राप्त की थी. कहा जाता है कि महिषासुर नामक इस दैत्य ने तीनों लोक में उत्पात मचाया था. देवता भी जब इस दैत्य से परेशान हो गये थे.

 


पूरी दुनिया और देवताओं को महिषासुर से मुक्ति दिलाने के लिए देवी ने आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को महिषासुर का अंत किया था. देवी की विजय से प्रसन्न होकर देवताओं ने विजया देवी की पूजा की और तभी से यह दिन विजया दशमी कहलाया. साथ ही इस दिन अस्त्रों की पूजा भी की जाती है. भारतीय सेना भी इस दिन शस्त्रों की पूजा करते हैं.

 

 

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दशहरे के दिन ऐसे करें पूजा

- प्रातःकाल स्नान कर घर की सफाई करें.

- गेहूं या चूने से दशहरा प्रतिमा बनाएं.

- गाय के गोबर से 9 कंडे बनाएं और उन पर जौ व दही लगाएं.

- गोबर की दो कटोरी बनाएं. एक में सिक्के और  दूसरी में पूजन सामग्री (रोली, चावल, फल, फूल, जौ) रखें.

- मूली, केला, ग्वारफली, चावल, गुड़ आदि अर्पित करें.

- धूप-दीप जलाकर पूजा करें.

- अपने बहीखातों की पूजा करें और उन पर जौ, रोली चढ़ाएं.

- ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दें.

 

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