महिलाओं से जुड़ी दो बड़े फैसलेः करवा सकती है गर्भपात और हैसियत के अनुसार ही गुजारा भत्ता

Lagatar Desk महिलाओं से जुड़ी दो बड़े फैसले आए हैं. पहला फैसला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का है, जबकि दूसरा कोलकाता हाईकोर्ट का. पहले फैसले में अदालत ने जहां पति के अनुमति के बिना भी अलग रह रही महिलाओं को गर्भपात की इजाजत दी है, वहीं दूसरे फैसले में अदालत ने पति की हैसियत के मुताबिक गुजारा भत्ता देने की व्यवस्था दी है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा है कि बिना तलाक लिए पति से अलग रहने वाली महिला गर्भपात कराने का फैसला ली सकती है. अदालत ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्त के तहत पति की सहमति के बिना भी गर्भपात कराने की अनुमति दी है. अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी है. महिला ने पति की सहमति के बिना गर्भपात कराने को लेकर निर्देश देने का अनुरोध अदालत से किया था. महिला की तरफ से वकील ने यह तर्क दिया था कि कम दहेज मिलने के कारण महिला के साथ ससुरालवालों ने क्रूरता की है. उसके पति ने भी उसके साथ दुर्व्यवहार किया. महिला का अपने पति पर यह भी आरोप है कि निजी क्षणों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड करने के लिए कैमरा मंगवाया. इस तरह अनचाहे गर्भ की वजह से महिला को मानसिक व शारीरिक नुकसान होगा. एक अन्य मामले में कोलकाता हाई कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला दिया है कि गुजारा भत्ता पति-पत्नी की हैसियत के मुताबिक मिलनी चाहिए. अदालत ने यह भी माना है कि पत्नी द्वारा मांगा गया गुजारा भत्ता हैसियत और आवश्यकता के अनुरुप होना चाहिए. इसके लिए यह तर्क नहीं दिया जा सकता है कि पत्नी के पास वित्तीय साधन है. कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और उदय कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि पत्नी द्वारा मांगी गई राशि, पति द्वारा बताई गई मासिक आय के पांचवें हिस्से से भी कम है. अदालत ने कहा कि सवाल सिर्फ पत्नी की रोजी-रोटी की आवश्यकता का नहीं है, बल्कि गुजारा भत्ता जीविका के अलावा दैनिक जरुरतों और पति-पत्नी की हैसियत के अनुरुप हो. इस मामले में पत्नी ने एक लाख रुपया गुजारा भत्ता देने की मांग की थी, जबकि पता 10,909 रुपया गुजारा भत्ता दे रहा था. अदालत ने पाया कि पति की मासिक आय 11,58,730 रुपया है, जो पत्नी की मांग का सिर्फ 10 प्रतिशत है.
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