Patna: इस बार के लोकसभा चुनाव में वामदल भी सफल रहे. वामदलों के दो सांसद करीब ढाई दशक बाद संसद तक पहुंचने में कामयाब रहे. इस चुनाव में वामदलों ने कुल पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इसमें से दो पर वामदल को जीत मिली. इसमें आरा में भाकपा माले के सुदामा प्रसाद ने भाजपा के आरके सिंह और काराकाट में भाकपा माले के ही राजाराम सिंह ने भोजपुरी कलाकार पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा को हराया. माले ने काराकाट सीट पर पहली बार कब्जा किया. काराकाट सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी. पहले भी राजाराम को यहां पार्टी प्रत्याशी के रूप में हार मिलती रही थी. लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन का साथ पाकर माले ने एनडीए से यह सीट छीन ली.
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आरा सीट पर माले को वर्ष 1989 के बाद कामयाबी मिली थी
आरा सीट पर माले को वर्ष 1989 के बाद कामयाबी मिली थी. तब आईपीएफ के बैनर तले उतरे पार्टी के रामेश्वर प्रसाद को जीत मिली थी. वामदलों का वोट प्रतिशत पिछले कुछ चुनावों में तीन से चार प्रतिशत के बीच ही रहा था. इस बार वोट प्रतिशत भी बढ़ गया. बिहार में वामदलों को इससे पहले वर्ष 1996 तथा उसके बाद 1999 में कामयाबी मिली थी. 1996 में बलिया सीट से शत्रुघ्न प्रसाद सिंह तथा 1999 में भागलपुर सीट से माकपा के सुबोध राय चुनाव जीते थे. वाम दलों के लिए इस बार का चुनाव अस्तित्व की लड़ाई थी. इंडिया गठबंधन का साथ पाकर वामदल उत्साहित थे. साल 2019 चुनाव में वामदल शून्य पर आउट हुए थे. पिछली बार राजद के समर्थन से भाकपा (माले) ने आरा लोस सीट पर उम्मीदवार उतारा था, लेकिन भाजपा ने माले को करारी शिकस्त दी थी. माले जहानाबाद, काराकट और सीवान में अकेले चुनाव लड़ा, जहां उसे हार मिली थी. भाकपा अपनी परंपरागत सीट बेगूसराय में अकेले बूते चुनाव लड़कर हार गई थी.
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