में इलाजरत एक कोरोना मरीज की मौत, वहीं एक कोरोना संक्रमित किशोरी अस्पताल से हुई फरार [caption id="attachment_215327" align="aligncenter" width="600"]
alt="" width="600" height="400" /> दो बॉडीगार्ड की फोटो जो हमले में शहीद हुए[/caption]
बॉडीगार्ड के तीन एके 47 लूट ले गए नक्सली
बॉडीगार्ड के तीन एके 47 नक्सली लूट कर साथ ले गए. करीब 50 की संख्या में नक्सली वहां आए थे. बुधवार सुबह पश्चिम सिंहभूम जिले के गोईलकेरा थाना पुलिस ने झीलरुवां से दोनों बॉडीगार्ड के शवों को बरामद कर लिया. शंकर नायक की गला रेत कर हत्या करने के बाद सीने में गोली मारी गई थी. वहीं ठाकुर हेम्ब्रम की गोली मारकर हत्या की गई था. दोनों के मोबाइल उनके शव के पास से बरामद हुआ है. हथियार लूटने के बाद नक्सलियों ने बॉडीगार्ड के कमर में बंधी मैगजीन बेल्ट खोलकर गोलियां भी लूट ली हैं. [caption id="attachment_215326" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="400" /> पीएलजीए कमांडर आजाद जी की फाइल फोटो[/caption]
इससे पहले भी कोल्हान में हो चुकी है ऐसी घटनाएं
केस नंबर -1 झारखंड आंदोलन (वर्ष 1980 के दशक) के दौरान सारंडा जंगलों की कटाई की जा रही थी. समूह में आये बाहरी तत्वों की ओर से जंगल को काटकर रिजर्व वन भूमि पर कब्जा किया जा रहा था. साथ ही इन्क्रोचमेंट वन भूमि पर नया बस्ती अथवा गांव बसाया जा रहा था. ऐसे तत्वों के खिलाफ वन विभाग ने कार्यवाही तेज कर बसायी गई बस्ती को उजाड़ने और जलाने का काम किया. साथ ही वहां बसे लोगों को पकड़-पकड़ कर जेल भेजा जाने लगा. वन विभाग की इस कार्यवाही से उक्त तत्वों एंव उनके नेताओं में खलबली मच गई और सभी संगठित होते रहे, लेकिन वन विभाग का यह अभियान निरंतर जारी रहा. वन विभाग की इस कार्यवाई से इन्क्रोचमेंट भू-भाग पर बसे लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए भारत जन आंदोलन सह झारखंड खुटकट्टी संघ के नेता स्व. मोरा मुंडा (कादोडीह निवासी) एंव इमानुएल बारला (तोपाडिह निवासी) ने वर्ष 2000 में गुमला क्षेत्र में सक्रिय तब के नक्सली संगठन एमसीसीआई (अब भाकपा माओवादी) से संपर्क साधा, और वन विभाग की कार्यवाहियों से अवगत करा उनसे सहयोग मांगा. नक्सलियों का बीस सदस्यीय पहला हथियारबंद दस्ता पहली बार पोडा़हाट जंगल (बंदगांव, टेबो) के रास्ते 25 नवंबर 2001 को सारंडा के बिटकिलसोय स्कूल में शरण लिया. नक्सलियों के आने की खबर पुलिस को ग्रामीणों ने दी. उसके बाद पुलिस ने 27 नवंबर 2001 को बिटकिलसोय गांव पहुंची, जहां दोपहर में स्कूल में खाना खा रहे नक्सलियों से पहला मुठभेड़ हुआ. जिसमें ईश्वर महतो नाम का नक्सली मारा गया, जिसके पास से एक एसएलआर, एक ग्रेनेड, बीस हजार रूपये नकद व गोलियां बरामद हुई. इस घटना के बाद एक साल तक नक्सली चुप्पी साधे रहे और संगठन को गांव-गांव में मजबूत किया. इसके बाद पुलिस मुखबिर के आरोप में 17 दिसंबर 2002 को बिटकिल सोय के मुंडा जीवन मसीह भुईयां की गला रेत हत्या कर पुलिस को आमंत्रित किया. 19 दिसंबर 2002 को पुलिस स्व. भुईयां का शव लेने बिटकिलसोय गई. जहां पहले से घात लगाकर मौजूद नक्सलियों ने पुलिस पर पहला हमला बोला, जिसमें बारह पुलिसकर्मी व चार प्राईवेट चालकों समेत सत्रह की मौत हुई और पुलिस के हथियार भी नक्सली लूट ले गये. केस नंबर -2 चाईबासा के पूर्व एसपी स्व. प्रवीण कुमार के कार्यकाल के दौरान नक्सलियों ने 31 मार्च 2004 को दिनदहाड़े बडाजामदा ओपी पर हमला कर कई जवानों को घायल कर दस रायफल, एक पिस्टल व सैकड़ों कारतूस व नकदी लूट लिये. लूटे गये हथियार की बरामदगी व नक्सलियों की तलाश में सीआरपीएफ व झारखंड पुलिस के जवानों के साथ एसपी प्रवीण सिंह सारंडा जंगल में निकले. इसी दौरान 7 अप्रैल 2004 को बालिबा गांव के समीप नक्सलियों ने घात लगाकर पुलिस टीम पर तीन तरफ से हमला कर पुलिस व सीआरपीएफ के 32 अधिकारियों व जवानों को मौत के घाट उतार दो एलएमजी समेत दर्जनों हथियार लूट ले गये. इस मुठभेड़ में एसपी प्रवीण सिंह भी घायल हुए थे, उनके हाथ में गोली लगी थी. घायल अवस्था में वह रात में पैदल भागे. इसी बीच कुछ दूरी पर खडे नक्सली चांद बारला प्रवीण सिंह को अंधेरे में देख पहचान नहीं पाया और प्रवीण सिंह के कहने पर उन्हें नक्सली समझ जांद बारला उन्हें साइकल पर बैठा कर करमपदा तक छोडा़ था. जहां से मालगाडी़ पर सवार होकर प्रवीण कुमार सेल की किरीबुरु रेलवे साईडिंग पहुंचे और वहां से सेल की वाहन से सेल अस्पताल किरीबुरु में उन्हें भर्ती कराया गया था. नक्सली चांद बारला ने गिरफ्तारी के बाद इस सच्चाई का उल्लेख किया था. केस नंबर - 3 30 मई 2006 को थलकोबाद आवासीय विद्यालय में चारों तरफ लैंड माईन लगा पूरी पुलिस टीम को उडा़ने की साजिश रची लेकिन वह विफल हुये क्योंकि पुलिस ने स्कूल से बारह लैंड माईन बरामद कर वापस किरीबुरु लौट रही थी तभी कलैता गाँव के समीप लैंड माईन विस्फोट कर सीआरपीएफ के बारह जवानों को उडा़ दिया. इसके अलावे छोटानागरा, मनोहरपुर आदि थानों पर हमला एंव अलग-अलग घटनाओं में दर्जनों जवानों एंव ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा, विकास कार्यों में लगी वाहनों को फूंका. वर्ष 2011 के मध्य महीने तक सारंडा जंगल में नक्सलियों का अपना शासन कायम था तथा तमाम स्कूलों में तिरंगा ध्वज की जगह काला झंडा या उल्टा तिरंगा स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस के अवसर पर फहरता था. नक्सलियों की बिना इजाजत के सारंडा में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक था. लेकिन वर्ष 2011 में लगभग एक महीने तक चली आपरेशन ऐनाकोंडा के बाद लंबे समय तक नक्सली सारंडा से गायब रहे लेकिन अब गतिविधियां बढ़ा दी है. केस नंबर -4 चार मार्च 2007 को होली की शाम 5.55 बजे घाटशिला थाना (अब गालूडीह थाना) क्षेत्र के बाघुड़िया पंचायत के बाघुड़िया गांव में सांसद सुनील महतो पर हमला किया गया था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी. इस हमले में सांसद के साथ झामुमो प्रखंड सचिव प्रभाकर महतो की मौत हो गई थी. इस हमले में सांसद के दो अंगरक्षक शहीद हो गए थे. नक्सलियों ने अंगरक्षकों के दो इंसास राइफल भी लूट लिए थे. इस हमले में झामुमो के तत्कालीन जिलाध्यक्ष रोड़ेया सोरेन समेत कई नेताओं ने भागकर अपनी जान बचाई थी. बाघुड़िया स्पोर्ट्स क्लब ने फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया था. इसमें बतौर मुख्य अतिथि सांसद सुनील महतो शामिल हुए थे. इसे भी पढ़ें –रांची">https://lagatar.in/35-policemen-corona-positive-in-ranchi-ssp-residential-office/">रांचीSSP आवासीय कार्यालय में 35 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव [wpse_comments_template]
Leave a Comment