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झारखंड के दो साहित्यकारों को मिला 'गुरुदेव साहित्य पुरस्कार 2025

  • रवींद्रनाथ टैगोर की स्मृति में साहित्यिक सम्मान.
  • झारखंड के अंशुमन भगत और संदीप मुरारका को खास सम्मान.
Lagatar Desk झारखंड के दो साहित्यकारों अंशुमन भगत और संदीप मुरारका को गुरुदेव साहित्य पुरस्कार-2025 मिला है. यह पुरस्कार यूएक्स टॉक्स ई-पत्रिका ने कवि रवींद्रनाथ टैगोर की स्मृति में देता है. इस मौके पर आयोजित समारोह में यूएक्स टॉक्स के संस्थापक सुनील सिहाग ने कहा कि इस वर्ष 14 असाधारण लेखकों को उनके विशिष्ट साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया है. सभी विजेता लेखक, टैगोर की सच्चाई, सौंदर्य, आशा और मानवता की दृष्टि को अपने लेखन में जीवंत करते हैं.
अंशुमन भगत को उनके साहित्यिक पुस्तक "एक सफर में`` के लिए सम्मानित किया गया है. यह पुस्तक नैतिकता, आशा और आधुनिक युग की कहानियों का संकलन है. अंशुमन भगत ने कहा कि यह सम्मान मुझे प्रेरित करता है कि मैं दुनिया को शब्दों की दृष्टि से देखता रहूं.
झारखंड के दूसरे साहित्यकार संदीप मुरारका हैं, वह झारखंड के एक सफल व्यवसायी भी हैं. संदीप मुरारका को उनकी काव्यात्मक पुस्तक `कुछ अल्फाज़ दिल से` के लिए सम्मान मिला है, जो आत्मविश्लेषण और भावनात्मक अंतर्दृष्टि से भरपूर है. उनकी लेखनी व्यवसाय और सृजनात्मकता के बीच सेतु का काम करती है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/05/jharkhand-1-272x153.jpg"

alt="" width="272" height="153" /> अन्य प्रमुख सम्मानित लेखकों में गुजरात/मध्य प्रदेश की योगिता वार्डे शामिल हैं,  जिन्हें ‘साही और सुधीर’, ‘दिया’, ‘पोस्टकार्ड’, और ‘कुकर की सीटी’ जैसे उपन्यासों के लिए सम्मानित किया गया. गुजरात की मैत्रीदेवी सिसोदिया को ‘कॉन्टेम्पररी चीरहरण’ और ‘मोमेंट्स एंड इटर्निटीज़’ जैसी रचनाओं के लिए यह पुरस्कार मिला, जो महिलाओं की आवाज़ को सशक्त रूप से प्रस्तुत करती हैं. भारत और स्पेन के रोशन भोंडेकर को साहित्य और सिनेमा के माध्यम से सकारात्मक संदेश फैलाने के लिए सराहा गया. गुजरात/राजस्थान के रवींद्र मारडिया को उनकी आत्मकथा ‘बडी टू ऑल’ के लिए सम्मानित किया गया, जिसमें उनके उद्योगपति से समाज सुधारक बनने की प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाया गया है. अमेरिका/भारत की श्री को उनके सांस्कृतिक रूप से समृद्ध उपन्यास ‘द क्रिमसन थ्रेड’ के लिए यह सम्मान मिला. मुंबई की अपर्णा जाधव को तलाक के बाद महिलाओं के सशक्तिकरण पर आधारित पुस्तक ‘पैराडाइज़ सक्ड-थ्राइव आफ्टर डिवोर्स, लेडीज़!’ के लिए चुना गया. 16 वर्षीय नई दिल्ली की वेरुश्का पांडे को मानसिक स्वास्थ्य और मानवाधिकार जैसे विषयों पर आधारित उनकी कविता संग्रह ‘द क्वाइट जिओमेट्री ऑफ कैओस’ के लिए सम्मानित किया गया. मुंबई के 16 वर्षीय आदित्य सेनगुप्ता धर को ‘अपना टाइम आएगा’ नामक सामाजिक उन्नयन पर केंद्रित युवा संकलन के लिए पुरस्कृत किया गया. मध्य प्रदेश की जूवी को फैंटेसी साहित्य में डिजिटल पीढ़ी की संवेदनाओं को स्थान देने के लिए सराहा गया. गुड़गांव/केरल की अनघा रतीश को ‘द सेलेस्टिया क्रॉनिकल्स’ और ‘ए वर्ल्ड ऑफ इंट्रीकेसीज़’ जैसी पुस्तकों के लिए सम्मान मिला, जिनमें नैतिकता और नायकीय गुणों का सुंदर समन्वय है. स्विट्ज़रलैंड/भारत की डॉ. प्रीति अमरेश को वैश्विक नीति और साहित्य के संगम पर आधारित उनके विशिष्ट लेखन के लिए चुना गया. मुंबई की पिंकी एनडी कंसारा को ‘एम्पॉवरिंग इमोशनल अवेयरनेस’ पुस्तक के लिए यह सम्मान मिला, जो आत्मविकास और भावनात्मक जागरूकता को गहराई से समझाती है.

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