- भाजपा नेताओं ने केंद्र की पहल का समर्थन किया
- ज्यादातर राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया और कहा
Ranchi: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर झारखंड में राजनीति गरमा गई है. जनजातीय नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए अपनी मान्यताओं और परंपराओं के लिए इसे खतरा बताया है, वहीं ज्यादातर राजनीतिक दलों और संगठनों ने भी इसका विरोध करते हुए इस मामले पर जल्दबाजी नहीं करने की बात कही है. साथ ही कहा है कि यह अति संवदेनशील मामला है. इस पर कोई निर्णय लिए जाने से पहले सबकी राय लेना उचित होगा, क्योंकि भारत विविधताओं का देश है. वहीं भाजपा नेताओं ने केंद्र सरकार की पहल का समर्थन करते हुए मौजूदा समय में इसे देश हित में लागू करना जरूरी बताया है. शुभम संदेश की टीम ने इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बात की है. पेश है रिपोर्ट.
हजारीबाग: एक देश एक कानून होना ही चाहिए : मनीष
हजारीबाग के सदर विधायक भाजपा के मनीष जायसवाल ने समान नागरिक संहिता पर कहा कि एक देश एक कानून होना ही चाहिए. केंद्र की मोदी सरकार देशहित में यूसीसी लागू कर रही है. इससे देशवासियों का भला ही होगा. कहीं से किसी को इसमें परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगर कोई इससे विशेषाधिकार के हनन की बात कर रहा है, तो यह बिल्कुल निराधार है. आदिवासियों को भी यूसीसी से कोई खतरा नहीं है. विपक्ष इसे दूसरे तरीके से बरगलाने का काम कर रहा है.
यूसीसी सही ढंग से लागू हो : राकेश गुप्ता
जदयू नेता राकेश गुप्ता ने कहा कि यूसीसी बेहतर कदम है, बस इसे सही ढंग से लागू करने की जरूरत है. सियासी लाभ के लिए कानून बने, यह सही नहीं है. समान नागरिक संहिता का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार देशवासियों के हित में समान नागरिक संहिता लागू करना चाह रही है. लेकिन इसके पीछे राजनीति नहीं होनी चाहिए. आखिर क्यों आदिवासी इससे खुद को खतरा बता रहे हैं, इसे भी मोदी सरकार को स्पष्ट करना चाहिए.
यह केंद्र सरकार की सियासी चाल : ईश्वर
सीपीएम के जिला सचिव ईश्वर महतो ने कहा कि समान नागरिक संहिता के बहाने केंद्र सरकार सियासी चाल चल रही है. केंद्र सरकार देश की एकता और अखंडता को तोड़ने का प्रयास कर रही है. इस कानून से लोगों के विशेषाधिकार का हनन होगा. यूसीसी के आने से जनजातियों की संस्कृति छिन्न-भिन्न हो जाएगी. कानून लाने से पहले सभी दलों के नेताओं से केंद्र सरकार को विमर्श करना चाहिए.
सभी दलों से बात करनी चाहिए : भुवनेश्वर प्रसाद
हजारीबाग के पूर्व सांसद और सीपीआई के वरिष्ठ नेता भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि यूसीसी लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से मोदी जी को बैठकर बात करनी चाहिए. सर्वसम्मति से जो तय हो, उसी कानून को लागू करने की जरूरत है. कोई भी कानून देशहित और जनहित में बनना चाहिए. अगर किसी को यूसीसी पर आपत्ति है, तो उनकी बातों को सुनना चाहिए. साथ ही आपत्ति जताने वालों को उनकी परेशानी पूछ उसका निराकरण करने की जरूरत है.
यूसीसी से बढ़ेगी सबकी परेशानी : भैया असीम
कांग्रेस के जिला महासचिव डॉ. भैया असीम कुमार ने कहा कि समान नगारिक संहिता से देश में परेशानी बढ़ेगी. यूसीसी के लागू होने से कई समुदाय के लोगों का विशेषाधिकार छिन जाएगा. पहले यह स्पष्ट हो कि इससे किसी को कोई परेशानी नहीं है, तब यूसीसी पर विचार होना चाहिए. सभी से मशविरा होना चाहिए. अगर किसी को इस कानून से आपत्ति है, तो उनकी बातें भी सुनी जानी चाहिए. सिर्फ अपनी दलील थोपने से काम नहीं चलनेवाला है.
जमशेदपुर: न यूसीसी का विरोध न ही समर्थन : सालखन
पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि उनकी पार्टी न यूसीसी (समान नागरिक संहिता) के समर्थन में है न ही इसके विरोध में हैं. क्योंकि हम (आदिवासी) वर्तमान में धार्मिक मान्यता के अनुसार कहीं नहीं है. लंबे समय से आदिवासी सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. जब तक हमें संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक मान्यता नहीं दी जाएगी.
लाभ के लिए यूसीसी ला रही भाजपा : सुबोध
पोटका विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रत्याशी सह जिला कांग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष सुबोध सिंह सरदार ने कहा कि केंद्र सरकार आगामी चुनाव को देखते हुए यूसीसी (समान नागरिक संहिता) ला रही है. लेकिन इसके लाभ की बजाय भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी. इस कानून से आदिवासियों के साथ-साथ कई वर्ग प्रभावित होंगे. जिसके कारण इस कानून का हश्र भी एनआरसी एवं सीएए की तरह होगा.
यह एक विभाजनकारी कानून है : शशि कुमार
सीपीआई के वरिष्ठ नेता कामरेड शशि कुमार ने बताया कि समान नागरिक संहिता एक विभाजनकारी कानून है. इसके लागू होने से देश के अमन पसंद लोगों में मतभेद पैदा होगा. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर “एक देश एक कानून” लागू हो गया तो क्या सभी जीने एवं मरने का समान अधिकार सरकार देगी. क्या सभी को समान दर्जा देते हुए रोजगार का समान अवसर एवं समान वेतन मुहैया कराएगी. लेकिन ऐसा नहीं होगा.
देश व समाज हित में है यूसीसी : राम सिंह मुंडा
भाजपा अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता रामसिंह मुंडा ने यूसीसी का समर्थन करते हुए कहा कि देश में अलग-अलग कानून की बजाय समान नागरिक संहिता बेहद जरूरी है. इससे किसी की सभ्यता एवं संस्कृति पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा. खासकर आदिवासी समाज की परंपराएं पूर्व की भांति जारी रहेगी. इससे किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. एक देश एक कानून लागू होने से सभी को समान दर्जा मिलेगा.
विपक्ष ने खड़ा किया है हौआ: विनानंद सिरका
भाजपा अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा के पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष विनानंद सिरका ने बताया कि समान नागरिक संहिता देश एवं देशवासियों के हित में है. लेकिन विपक्ष इस कानून को लेकर हौवा खड़ा कर रहा है. लोगों के बीच मतभेद उत्पन्न कर रहा है. खासकर आदिवासी समाज के लोगों में विभेद पैदा कर रहा है. इसके लिए भाजपा अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा गांव-गांव में लोगों के बीच जाकर इसकी खुबियों से अवगत कराएगा.
चक्रधरपुर: जबरन नियम कानून थोपना चाहती है केंद्र सरकार- बहादुर
चक्रधरपुर के पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने कहा कि केंद्र सरकार जबरन लोगों पर नियम कानून थोपना चाहती है. पूरे देश में यूसीसी का विरोध हो रहा है.आदिवासी समाज प्रकृति के उपासक होते हैं. उनकी मान्यताएं पूजा-पाठ, प्रथा इत्यादि अलग होते हैं. केंद्र सरकार आदिवासियों की परंपरागत मान्यताएं, सभ्यता, संस्कृति को खत्म करने की कोशिश कर रही है.
यूसीसी लागू करना हमारे मौलिक अधिकार का हनन है : अमित मुखी
कांग्रेस पार्टी के जिला सचिव चक्रधरपुर निवासी अमित मुखी ने कहा कि यूसीसी को लागू करना मौलिक अधिकार का हनन है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी धर्म के लोगों को आपस में लड़ाने की तैयारी कर रही है. चुनावी फायदे को लेकर यूसीसी लागू किया जा रहा है.
पुरानी परंपरा को खत्म नहीं होने दिया जाएगा : ताराकांत सिजुई
चक्रधरपुर निवासी झामुमो के प्रखंड सचिव ताराकांत सिजुई कहा कि आदिवासियों की पुरानी परंपरा को खत्म नहीं होने दिया जाएगा. यूसीसी को लागू करना इतना आसान नहीं हैं. हमारे देश में सभी राज्यों में आदिवासी निवास करते हैं. आदिवासियों की अपनी रीति रिवाज हैं. केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों के बीच विद्वेष उत्पन्न कराना चाहती है.
आदित्यपुरः समान नागरिक संहिता का लागू होना देशहित में उचित नहीं है : बाबू तांती
आदित्यपुर निवासी टीएमसी के यूथ जिलाध्यक्ष बाबू तांती कहते हैं कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) देशहित में उचित नहीं है. इस पर पहले देश भर के नेताओं की सार्वजनिक राय लेनी चाहिए. इस कोड से अल्पसंख्यकों के हितों की हानि होगी. मेरे विचार से सार्वभौम देश में यह जरूरी है कि सभी की राय से कोई भी निर्णय लिया जाये. मेरा दल इसका विरोध करता है, जिसका मैं भी समर्थन करता हूं.
जब संविधान में ही नहीं है तो हायतौवा मचाने की क्या जरूरत : फूलकांत झा
आदित्यपुर निवासी जिला कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष फूलकांत झा कहते हैं कि जब समान नागरिक संहिता संविधान में वर्णित ही नहीं है, तो इसे लागू करने के लिए देश की एनडीए सरकार क्यों हायतौबा मचा रही है.
इस तरह के बिल की हमारे भारतीय संविधान में जगह नहीं : देव प्रकाश
आदित्यपुर निवासी राजद के प्रदेश सचिव देव प्रकाश देवता का कहना है कि देश में जब-जब एनडीए की सरकार बनी है. देश को धर्म सम्प्रदाय की आग में झोंकने का काम किया है. अब जबकि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं तो यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल लाकर देश में एक शिगूफा छोड़ दिया है. इस तरह के बिल का भारतीय संविधान में कोई जगह ही नहीं दी गई है.
चांडिलः यूसीसी के लागू होने से आदिवासी विलुप्त हो जाएंगे- दलगोविंद सिंह
जिला परिषद के पूर्व सदस्य सह कांग्रेस नेता दलगोविंद सिंह मुंडा ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने से आदिवासियों के लिए की गई विशेष व्यवस्थाएं समाप्त हो जाएगी. आदिवासियों की पारंपरिक रूढ़ीवादी प्रथा है, स्वशासन व्यवस्था है. कानून में कई विशेष अधिकार हैं. पांचवीं, छठी अनुसूची, पेसा कानून, सीएनटी-एसपीटी एक्ट है.
यूसीसी देश के लिए आवश्यक : तरु सिंह
भाजपा के सरायकेला-खरसावां जिला महामंत्री तरु सिंह मुंडा ने कहा कि देश के विकास के लिए कानून ऐसा बने जिससे किसी भी समाज व धर्म के लोगों को नुकसान नहीं हो. संविधान में विशेष अधिकार प्राप्त समाज को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है.
हमारे सभी विशेष अधिकारों को समाप्त करने की साजिश : बुद्धेश्वर
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरायकेला-खरसावां जिला सिव बुद्धेश्वर मार्डी उर्फ रौंदा ने कहा कि समान नागरिक संहिता देश में विशेष अधिकार प्राप्त समाज को खत्म करने की साजिश है. आदिवासियों के रहन-सहन, खान-पान, शादी-विवाह, शासन व्यवस्था आदि की परंपरा देश के अन्य समाज से भिन्न है. संविधान में भी आदिवासियों को विशेष अधिकार दिए गए हैं.
साहिबगंजः देश को गुमराह कर रही है भाजपा - नजरूल
इस संबंध में झामुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष सह पूर्व जिलाध्यक्ष नजरूल इस्लाम ने बताया कि यूसीसी के नाम पर भाजपा लोगों को गुमराह कर रही है. जनता आगामी चुनाव में इसका जवाब भाजपा को देगी. भाजपा केवल वोट के लिए लोगों को ठगने का काम कर रही है.इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है. यूसीसी बिल पर भाजपा औंधे मुंह गिरेगी. झामुमो इसका विरोध करता है.
दिग्भ्रमित कर रहा है विपक्ष : कृष्णा महतो
भाजपा ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय मंत्री कृष्णा महतो ने बताया कि यूसीसी के नाम पर विपक्षी दल के नेता आदिवासियों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. इसके लागू होने से सबको समान अधिकार मिलेगा. किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा. देश में बदलाव नजर आएगा.इसलिए यूसीसी समय की मांग है. इस समय देश में इसका लागू होना बहुत जरुरी है. सभी को इसका समर्थन करना चाहिए.
मोदी सरकार का चुनावी फंडा है : बरकतउल्ला खान
साहिबगंज जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बरकतउल्ला खान ने बताया कि यूसीसी केंद्र की मोदी सरकार का आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव का फंडा है. इसी वर्ष छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव है. आगामी वर्ष 2024 में लोकसभा और झारखंड में विधानसभा चुनाव है. इन चुनावों को देखते हुए मोदी सरकार यूसीसी का राग अलापना शुरू की है.
सभी धर्मांवलंबियों को लाभ होगा : सिमोन माल्टो
बरहेट विधानसभा के पूर्व भाजपा प्रत्याशी सिमोन माल्टो ने बताया कि यूसीसी लागू होने से सभी धर्मांवलंबियों को लाभ मिलेगा. इसके लागू होने से देश में बड़ा बदलाव नजर आएगा. इससे किसी के अधिकार का हनन नहीं होगा. इस समय यूसीसी का लागू होना बहुत जरुरी है. कहा जा सकता है कि यह समय की मांग है और इससे बहुत सारी समस्याओं का हल हो जाएगा.
लातेहारः देश में एक कानून होगा- अमित पांडेय
आजसू के जिलाध्यक्ष अमित कुमार पांडे ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने से देश में एक समान कानून होगा,जो सभी धर्म जाति और संप्रदाय के लोगों के लिए लागू होगा. आज देश में अलग-अलग धर्म और संप्रदाय के अलग-अलग पर्सनल लॉ है, इस कानून के होने से सभी कानून शिथिल हो जाएंगे. इससे देश में एकरूपता आएगी. बहुत तरह के भेदभाव खत्म हो जाएंगे.
यह कानून देश पर थोपा जा रहै है: शाहदेव
झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष लाल मोती नाथ शाहदेव ने कहा कि यह कानून देश पर थोपा जा रहा है. भारत विविधताओं में एकता का देश है. यहां कई धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं. सब के अपने-अपने पारंपरिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विरासत हैं. ऐसे में सभी को एक लाठी से हांकना कहीं से उचित नहीं है.सरकार को इसपर फिर से विचार करना चाहिए और सोच समझ कर कदम उठाना चाहिए.
ताना बाना गड़बड़ा जाएगा: लक्ष्मण यादव
राजेश के प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने कहा कि यह कानून देश में विसंगतियां पैदा करेगा. समाज का ताना-बाना इससे गड़बड़ा जाएगा. भारत में कई धर्म एवं संप्रदाय के लोग रहते हैं. यह कानून उन पर लागू होने से उनकी सामाजिक, पारंपरिक व संस्कृतियों पर कुठाराघात होगा. सरकार को इस कानून को लाने से पहले समाज के हर तबके के लोगों से राय मशवरा लेना चाहिए.
धनबादः किसी के अधिकार का हनन नहीं- चंद्रशेखर
धनबाद जिला भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि समान नागरिक संहिता भारत के लिए अनिवार्य है. यूसीसी का उल्लेख भारतीय संविधान में भी है. उसी के तहत केंद्र सरकार डॉ. भीम राव अंबेडकर के विचारों को अमलीजामा पहनाने की तैयारी कर रही है. इस कानून के लागू होने से किसी के अधिकार का हनन नहीं होगा .देशवासियों को इसका समर्थन करना चाहिए.
मूल ढांचे के साथ छेड़छाड़ : मंटू महतो
आजसू के जिला अध्यक्ष मंटू महतो ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करना मौलिक अधिकारों से संबंधित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 व धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के मूल ढांचा के साथ छेड़छाड़ होगा. केंद्र सरकार को यूसीसी लागू करने से पहले यह बताना चाहिए कि जो सिविल कानून नौवीं अनुसूची में डाला गया है, उसका क्या होगा. जनता के हितों को ख्याल रख गहन विचार के बाद ही केंद्र इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए.
जवाब का इंतजार करे सरकार : संतोष सिंह
जिला कांग्रेस अध्यक्ष संतोष सिंह ने समान नागरिक संहिता कानून का न तो विरोध किया, न ही समर्थन. उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार यूसीसी पर आम लोगों से राय मांगी है, तो उसे जनता के जवाब का इंतजार करना चाहिए. इसे लागू करने की इतनी हड़बड़ी क्यों है. यह आम जनता से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है. जनता की भावनाओं के अनुरूप सभी की राय के बाद ही सरकार को इसे लागू करना चाहिए.
देवघरः यूसीसी हिंदुओं को भी करेगा प्रभावित- प्रमोद
यूनिफॉर्म सिविल कोड से सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय को ही परेशानी नहीं होगी. बल्कि हिंदुओं के बीच में भी विविधता और बहूलता है, उन्हें भी प्रभावित करेगा. सभी धर्मों में अलग-अलग रीति रिवाज, रहन-सहन और संस्कार अलग-अलग है, जो संविधान की अनुच्छेद 25 में समाहित भी है. प्रधानमंत्री को एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस पर गहन विचार विमर्श करना चाहिए.
हमारी पहचान होगी कमजोर : श्यामलाल
यूसीसी लागू होने से आदिवासी समाज कमजोर होगा. आदिवासियों की परंपरा, संस्कृति, जीवनशैली, पहचान और अस्मिता को खत्म करने की कोशिश है. इससे लागू होने से आदिवासी समाज को काफी नुकसान होने वाला है. आदिवासियों की अपनी मान्यताएं और परंपराएं किसी भी नियम या कानून से इस पर आंच आती है तो इसका लागू किया जाना ठीक नहीं.इसपर अभी सोचने विचार करने की जरुरत है.
पाकुड़ः ऊंच-नीच का भेदभाव होगा समाप्त- दुर्गा मरांडी
इस संबंध में प्रदेश भाजपा जनजातीय मोर्चा के उपाध्यक्ष दुर्गा मरांडी ने बताया कि देश में एक समान संविधान और कानून होना चाहिए. ऐसा होने से देश में ऊंच और नीच जाति का भेदभाव समाप्त हो जाएगा. सभी को बराबरी का दर्जा प्राप्त होगा. यूसीसी लागू होने से सभी लोगों को इसका फायदा मिलेगा. जाति और धर्म से ऊपर उठकर इसका समर्थन किया जाना चाहिए.
मुश्किल का सामना करना पड़ेगा : कुणाल
झामुमो के जिला संगठन सचिव कुणाल अल्फ्रेड हेंब्रम ने बताया कि झारखंड में पूर्व काल से एसपीटी और सीएनटी एक्ट आजादी पूर्व से लागू रहा है. आदिवासियों के रीति-रिवाज, परंपरा और संस्कृति अलग है. यूसीसी लागू होने पर आदिवासियों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.इसलिए आदिवासी होने के नाते मैं यूसीसी का विरोध करता हूं.
गिरिडीहः देशवासियों के लिए वरदान- निर्भय शहाबादी
इस संबंध में बीजेपी के पूर्व विधायक निर्भय शहाबादी ने बताया कि यूसीसी लागू होने पर देशवासियों के लिए वरदान साबित होगा. देश को बांटने के लिए अंग्रेजों ने जिस तुष्टीकरण का बीजारोपण किया था, उसे कांग्रेस अबतक ढोती रही है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जनता से किए वादे के मुताबिक यूसीसी लागू करने की पक्षधऱ है. इसे लागू होने से सभी नागरिकों को एक जैसा अधिकार मिलेगा.
धरातल पर विकास नहीं दिख रहा : सतीश
कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष सतीश केडिया का कहना है कि हर बार चुनाव पूर्व भाजपा तरह-तरह की ढकोसलेबाजी करती है. केंद्र की मोदी सरकार 9 वर्ष पूरा कर चुकी है. पीएम नरेंद्र मोदी को इतने वर्षों में यूसीसी याद नहीं आया. आगामी साल 2024 में लोकसभा का चुनाव है तो उन्हें यूसीसी याद आ रहा है. यूसीसी लागू किए जाने से पहले देश का विकास जरूरी है. मोदी सरकार सिर्फ चर्चा करती है, विकास धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है.
पहले महंगाई कम करे सरकार :राजेश यादव
भाकपा माले के राज्य कमिटी सदस्य राजेश यादव ने बताया कि भारत विभिन्नताओं का देश है. यहां कई भाषाएं बोली जाती है. देश के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग संस्कृति है. देश में यूसीसी से ज्यादा कॉमन स्कूल सिस्टम लागू करने की जरूरत है, जिससे सभी बच्चों को पढ़ने का एक समान अधिकार मिल सके. देश में महंगाई और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने की जरुरत है.
चाईबासाः खिलाफ कार्य कर रही केंद्र सरकार- चित्रसेन
पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकु ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) आदिवासी समाज के खिलाफ है. केन्द्र सरकार ने इसे लागू करने का प्रयास किया तो आदिवासी समाज इसका तीव्र विरोध करेगा. आदिवासी समाज में महिला और पुरुष की अलग-अलग व्यवस्था है. इस समाज का अलग धर्म कोड (सरना) है. जिसे केन्द्र सरकार लागू नहीं कर रही है. जिसकी जरुरत ज्यादा है.
कानून को वापस ले सरकार : बहादुर उरांव
पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने कहा कि आदिवासी समुदाय अपने स्वयं के आदिवासी कानूनों द्वारा शासित होता है, जो हिंदू कानून से अलग हैं. परिणामस्वरूप, आदिवासियों पर यूसीसी का प्रभाव न्यूनतम या नगण्य होगा. वह आगे बताते हैं कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44(1-2) में कहा गया है कि प्रथागत कानून पहले की तरह लागू रहेंगे. एक प्रावधान पहले से ही पेसा अधिनियम में शामिल है.
नुकसान पहुंचाने में लगी है सरकार : त्रिशानु
पश्चिमी सिंहभूम के जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव त्रिशानु राय ने कहा कि समान नागरिक संहिता को समझने के लिए जनजातीय समुदायों के रीति-रिवाजों को समझना होगा. केंद्र सरकार एक साजिश के तहत आदिवासी समुदाय को नुकसान पहुंचाने में लगी है. आदिवासियों को आगे आकर इसका विरोध करने की जरूरत है. समान नागरिकता कानून का असर आदिवासी समाज पर पड़ेगा. [wpse_comments_template]
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