शपथ पत्र दाखिल कर उच्च न्यायालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दी जानकारी सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड में बिना सीआरआर के भरे जा रहे पद यूजीसी और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नहीं दी थी सीयूजे के सीआरआर को स्वीकृति Amit Singh Ranchi : झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी में वर्ष 2017 के बाद की गईं सभी नियुक्तियां नियम विरुद्ध की गई हैं. नियुक्ति नियमावली के बिना ही 45 से ज्यादा पदों पर नियुक्तियां की गई हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अब तक कैडर रिक्रूटमेंट रूल (सीआरआर, नियुक्ति नियमावली) को स्वीकृति नहीं दी है. यह जानकारी यूजीसी की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय को वर्ष 2022-23 में एक शपथ पत्र के माध्यम से बतायी गयी हैं. बताया जाता है कि सीयूजे ने कई पदों के लिए सीआरआर बनाया है, जिसमें कई विचलन हैं. उन्हें दूर करने के बजाय विवि के जिम्मेवार रिक्त पदों को मनमाने ढंग से भर रहे हैं. बता दें कि वर्ष 2017 के बाद से अब तक नियुक्ति नियमावली के ही बिना दर्जनों पदों पर नियुक्तियां हो चुकी हैं. मई 2023 में पांच वर्ष के लिए रजिस्ट्रार, फाइनांस अफसर और कंट्रोलर ऑफ एक्जामिशन (पे लेवल-14/1,44,200-2,18,200) के पद पर नियुक्ति हुई. जबकि यूजीसी ने विवि प्रशासन को सूचित कर चुका है कि (एफ-बी-1/2014,सीयू) बिना सीआरआर एप्रूव्ड कराए कोई भी नियुक्ति अमान्य होगी.
अब तक एक अरब से भी अधिक खर्च
बताया जाता है कि जब से विश्वविद्यालय का गठन हुआ है तब से अब तक केंद्र सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा सीआरआर को स्वीकृति नहीं दी गई है. विश्वविद्यालय में जितने भी कुलपति अब तक आए, सभी ने मनमाने ढंग से उपहार के रूप में परिचितों को नौकरी दे दी. अब तक हुई तमाम नियुक्तियों पर वेतन और अन्य मदों पर एक अरब से भी अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है. यूजीसी ने दिया था नियुक्ति न करने का निर्देश
यूजीसी के अनुसार, विवि ने रजिस्टार, फाइनांस अफसर, हिंदी अफसर आदि पदों का सीआरआर स्वीकृति के लिए अब तक नहीं सौंपा है. इसलिए विवि को निर्देश दिया गया था कि संबंधित किसी भी पद पर नियुक्ति से पहले सीआरआर में सुधार करें. उसी पद के लिए सीआरआर बनाएं, जिसकी स्वीकृति यूजीसी ने दी हो. यूजीसी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सीआरआर बनाए बगैर विवि प्रशासन नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति न करे. यूजीसी के निर्देश के बाद विवि प्रशासन ने सीआरआर बनाकर स्वीकृति के लिए भेजा था. उस पर यूजीसी की विशेष टीम ने 27 जून 2019 को अपनी रिपोर्ट दी. यूजीसी ने विवि को बताया कि सीआरआर में जो प्रस्तावना है, वह भारत सरकार या यूजीसी से मेल नहीं खाती है. इसलिए उसमें बदलाव करें. यूजीसी ने प्रस्तावना से संबंधित एक प्रारूप के साथ कुछ ऑब्जर्वेशन भी भेजा था. उन पर काम करने, खामियों को दूर करने के बजाय विवि प्रशासन ने नियम विरुद्ध नियुक्तियां कर दीं. यूजीसी ने विवि प्रशासन को कई पदों से संबंधित सीआरआर में सुधार कर भेजने को कहा था, मगर विवि प्रशासन ने ऐसा नहीं किया. बिना सीआआर के इन पदों पर हुई नियुक्ति
नाम पद डॉ. प्राची मेडिकल शेल्के ऑफिसर सुजीत कुमार पांडेय लाइब्रेरियन संतोष कुमार फाइनांस अफसर अब्दुल हलीम डिप्टी रजिस्ट्रार एसएल हरिकुमार रजिस्ट्रार प्रभुदेव कुर्ली कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन कौशल सिंह चौहान इनफॉर्मेशन साइंटिस्ट नेहा जू. इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) नूतन भारती फार्मासिस्ट कृष्ण कुमार मिश्रा लाइब्रेरी असिस्टेंट सुचिस्मिता महापात्रा टेक्निकल असिस्टेंट विजय कुमार विश्वकर्मा पर्सनल असिस्टेंट तरूण कुमार सिक्योरिटी इंस्पेक्टर दीपक कुमार एलडीसी मंजीत कुमार एलडीसी नीरज कुमार कमल एमटीएस तारकेश्वर तिवारी एमटीएस आशीष रंजन एमटीएस सौरभ कुमार लैबोरेट्री अटेंडेंट अमित कुमार एमटीएस प्रीत एलडीसी निलांजन मिश्रा सेमी प्रोफेशनल असिस्टेंट शोएब अंसारी पर्सनल असिस्टेंट उज्वल कुमार एलडीसी गौतम कुमार एलडीसी प्रीतम कुमार एलडीसी चिनमय कुमार लैबोरेट्री अटेंडेंट अश्वनी कुमार एमटीएस विनय कुमार एलडीसी जयप्रकाश शुक्ला लैबोरेट्री अटेंडेंट रवींद्र कुमार एलडीसी विकाश कुमार लैबोरेट्री अटेंडेंट दीपक कुमार पटेल लैबोरेट्री अटेंडेंट रोहित रंजन एलडीसी सुधीर कुमार राय पर्सनल सिक्योरिटी विद्यानंद कुमार असिस्टेंट नरेंद्र कुमार पीआरओ नियुक्तियों की चल रही सीबीआई जांच
सीयूजे में नियुक्तियों की जांच मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन ने की थी. इसमें कई खामियां सामने आईं. इसके बाद मंत्रालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई अब नियुक्तियों की जांच कर रही है. विवि के तकरीबन 130 पदों पर हुई नियुक्ति सवालों के घेरे में है. मामला शिक्षकों के 50 और शिक्षकेतर के 75 पदों से जुड़ा हुआ है. मैं क्या कोई गूगल या डायरेक्टरी हूं : वीसी
सीयूजे के वीसी प्रो. क्षितिभूषण दास से जब नियम विरुद्ध नियुक्तियों के संबंध में बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि क्या यह जानकारी सीधे वीसी से ही चाहिए? मैं क्या गूगल या डायरेक्टरी हूं जो सभी जानकारी उपलब्ध करा दूंगा. जो अथॉरिटी है, आप उससे बात करिए. विवि की सभी जानकारी मैं क्यों रखूंगा? यह कहते हुए फोन काट दिया. 12 अगस्त को हुई थी सुनवाई
बता दें कि मामला झारखंड उच्च न्यायालय में चल रहा है. विगत 12 अगस्त को मामले की सुनवाई हुई थी. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में मामले की सुनवाई हुई थी. अब अगली तिथि पर सुनवाई होनी है.
Leave a Comment