कोयला आसानी से मिलने के कारण ईंधन के रूप में हो रहा इस्तेमाल
Dhanbad : धनबाद जिले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना फेल नजर आ रही है. मुफ्त का गैस चूल्हा और सिलिंडर घर के किसी कोने में जंग खाने लगा है. कोयला और उसके धुएं के गुब्बार ने घर आंगन, गली मुहल्ले में फिर से अपनी मजबूत पैठ बना ली है. मतलब साफ है, गरीब लोगों को केंद्र सरकार की मुफ्त की रेवड़ी अब महंगी लगने लगी है. एक गैस सिलेंडर की कीमत 1160 रुपये और वेंडर के 20 मिलाकर अब एक माह का कुल खर्च 1180 रुपये हो चुका है. यह खर्च किसी बीपीएल परिवार की जेब में फिट नहीं बैठ पा रहा है. विवश होकर लोग सस्ते इंधन के रूप में कोयले का इस्तेमाल कर रहे है. जिले के हर कोने में कोयला 130 से ₹140 प्रति बोरा आसानी से उपलब्ध हो जाता है. 10 प्रतिशत बीपीएल महिलाएं ही कर रही गैस का इस्तेमाल
जिले के आपूर्ति विभाग के आंकड़े के अनुसार उज्ज्वला योजना के कुल 2 लाख 9 हजार 901 लाभुक हैं, जिन्हें अलग अलग गैस एजेंसियों से मुफ्त की गैस और चूल्हा मिल चुका है. परंतु इनमें 90 प्रतिशत महिलाएं कोयले पर खाना पका रही हैं. 10 प्रतिशत ही गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करती हैं. कुछ महिलाओं ने बताया कि एक माह में कोयला पर 500 से 600 रुपये खर्च होता है, जबकि गैस के लिए करीब 1200 रुपये चुकाना पड़ता है. हर घर में जलते हैं 4-5 चूल्हे
धनबाद में आसानी से उपलब्धता के कारण घनी आबादी से लेकर होटल, रेस्टोरेंट और ढाबा में कोयले का इस्तेमाल होता है. ज्यादातर घरों में मकान मालिक के साथ 4 से 5 किरायेदार भी रहते हैं. उनमें मेहनत-मजदूरी करने वालों से लेकर कम वेतन पर प्राइवेट जॉब करने वाले लोग भी शामिल हैं. किरायेदार के साथ कुछ तो मकान मालिक भी कोयले पर ही खाना पकाते हैं. सुबह और शाम को धुआं का गुब्बार साफ तौर पर तंग इलाकों में देखा जा सकता है, साथ ही कोयला बेचने वाले भी इन्हीं गलियों में हर दिन नजर आते हैं. एक साल तक गैस नहीं लें तो कंजूमर नंबर ब्लॉक
सिन्हा गैस एजेंसी के संचालक रोशन कुमार कहते हैं कि धनबाद में कोयले की उपलब्धता के कारण गैस की खपत अन्य शहरों के मुकाबले कम है. बीपीएल वालों के साथ नार्मल कस्टमर भी हर माह गैस नहीं लेते हैं. बीपीएल वाले तो महज 10 प्रतिशत लोग हैं, जो गैस बुकिंग कराते हैं. अभी तो गैस कंपनी ने नियम भी लगा दिया है कि एक साल तक बुकिंग नहीं कराने पर उनका कंजूमर नंबर ब्लॉक हो जाएगा है. फिर जरूरी दस्तावेज जमा करने पर ही ओपन होता है. सेल कम होने से नुकसान तो होता है, लेकिन क्या करें. धनबाद का ट्रेंड ही हो गया है, सबकुछ कोयले पर ही करेंगे. मेरा क्या, यहां सभी एजेंसी का यही हाल है. गैस की बढ़ती कीमत भी एक फैक्टर है, जिस कारण लोग कोयले का उपयोग ज्यादा करते हैं. [wpse_comments_template]
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