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यूक्रेन-रूस युद्ध से माइक्रोचिप की सप्लाई पर पड़ेगा असर, महंगे हो सकते हैं स्मार्टफोन और कार

LagatarDesk :  रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. रूसी युद्धपोत पर मौजूद जवानों ने यूक्रेन के 13 जवानों को मार दिया. अब तक 137 यूक्रेनी नागरिकों की मौत की खबर है. यूक्रेन ने भी पीछे नहीं हटने का ऐलान कर दिया है. इस युद्ध का दुनियाभर में व्यापक असर पड़ने वाला है. रूस-यूक्रेन विवाद के कारण माइक्रोचिप बनाने के लिए लगने वाले प्रोडक्ट्स की सप्लाई घट या बंद हो सकती है.

कंपनियां ज्यादा दिनों तक नहीं झेल पायेंगी परेशानी

ऐसे में इन कंपनियों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि कंपनियां ज्यादा से ज्यादा एक-दो सप्ताह ही दिक्कतों को झेल सकती है. लेकिन ज्यादा दिन तक अगर सप्लाई ठप रहती है तो इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा. इससे सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन तो प्रभावित होगा. साथ ही माइक्रोचिप वाले प्रोडक्ट्स जैसे स्मार्टफोन और कार भी महंगे हो जायेंगे. इसे भी पढ़े : झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-assembly-proceedings-adjourned-till-11-am-on-monday/">झारखंड

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रूस-यूक्रेन माइक्रोचिप बनाने के लिए लगने वाले प्रोडक्ट्स के मेजर सप्लायर

रूस-यूक्रेन के बीच विवाद का सबसे ज्यादा असर चिप शॉर्टेज का सामना कर रही इंडस्ट्री पर पड़ेगा. बता दें कि 2021 से ही माइक्रो-चिप की शॉर्टेज बड़ी समस्या रही है. कुछ एनालिस्ट ने अनुमान लगाया था कि 2022 में यह खत्म हो जायेगी.  लेकिन युद्ध के कारण यह खतरा और बढ़ गया है. क्योंकि रूस-यूक्रेन माइक्रोचिप बनाने के लिए लगने वाले प्रोडक्ट्स के मेजर सप्लायर है.

यूक्रेन नियॉन गैस का बड़ा प्रोड्यूसर

रिसर्च फर्म Techcet के अनुसार, यूक्रेन नियॉन गैस का बड़ा प्रोड्यूसर है. इसका उपयोग चिप बनाने में यूज होने वाले लेजर के लिए होता है. यूएस सेमिकंडक्टर ग्रेड नियॉन का 90 फीसदी सप्लाई यूक्रेन ही करता है. इसके आलावा 35 फीसदी पैलेडियम का सप्लाई रूस करता है. इस रेयर मेटल का यूज भी सेमीकंडक्टर बनाने के लिए किया जाता है. इसे भी पढ़े : हमने">https://lagatar.in/we-had-rescued-two-and-a-half-lakh-people-from-the-gulf-in-1990/">हमने

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अमेरिका ने लगाये रूस पर कई प्रतिबंध

ऐसे में दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ने से इन एलिमेंट्स का एक्सपोर्ट कम होगा. इससे बड़े प्लेयर जैसे Intel और अन्य कंपनियां  प्रभावित होंगी. जो 50  फीसदी नियॉन इस्टर्न यूरोप से लेते हैं. अमेरिका ने भी कहा है कि वो रूस से माइक्रोचिप नहीं लेगी. इसकी वजह से आने वाले समय में स्मार्टफोन महंगा हो सकता है. इसे भी पढ़े : चीन">https://lagatar.in/china-will-conduct-maneuvers-on-lac-next-month-may-again-audacity-against-india/">चीन

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