अब जेलेंसकी कह रहे हैं कि वो अब नाटो में नहीं हैं
आरटी.डॉट कॉम ने ही कल दिमित्री पेस्कोव के माध्यम से कहा था कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन जेलेंस्की से बातचीत करने और हमले रोकने को तैयार हैं, बशर्ते जेलेंस्की तटस्थ देश बने रहने और इलाके में हथियारों की तैनाती न करने पर सहमत हों तो. उस समय जेलेंस्की ने कोई जवाब नहीं दिया था. अब जेलेंस्की कह रहे हैं कि वो अब नाटो में नहीं हैं. वो तटस्थ देश रहेंगे. वो रूसी राष्ट्रपति से वार्ता को तैयार हैं. मगर हमें सुरक्षा की गारंटी चाहिए. इससे पहले रूस की सेना ने कीव पर लगभग कब्जा कर लिया है. इसे भी पढ़ें – रांची">https://lagatar.in/march-3-the-last-date-to-fill-the-form-in-the-pg-department-of-ranchi-university/">रांचीविश्वविद्यालय के पीजी विभाग में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 3 मार्च
हमलों से यूक्रेन पूरी तरह बर्बाद हो चुका है
रूस के इस हमले का परिणाम पहले से तय था. वही हो रहा है. दो दिन के लगातार हमलों से यूक्रेन पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. रूसी सेनाएं कीव में घुस चुकी हैं. कीव में यूक्रेन की सेना मुकाबला करने की कोशिश कर रही है. मगर कितनी देर? यूक्रेन की नींव रूस ने ही मजबूत की है. रूसी सेनाओं को कीव की कमजोरियां मालूम है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन चाहते तो अब तक जेलेंसकी को गिरफ्तार किया जा सकता था या हत्या की जा सकती थी. अमेरिका और इंग्लैंड सहित सभी पश्चिमी देशों को जानकारी थी कि जेलेंसकी को रूसी सैनिक गिरफ्तार कर सकते हैं. इसके बावजूद सैन्य सहायता पहुंचाने के बाद जेलेंस्की को संदेश दिया गया कि वो यूक्रेन छोड़ने अमेरिका या इंग्लैंड में शरण में ले लें. यह कितना हास्यास्पद है कि जिस देश की वायुसीमा पर रूस ने कब्जा कर लिया हो और सारी एयरफील्ड्स बर्बाद की जा चुकी हों उस देश के नेता से कहा जा रहा है कि अपने देश और लोगों को छोड़ कर भाग निकलो हम बचा लेंगे. इसे भी पढ़ें – बेंगलुरु">https://lagatar.in/investors-meet-of-ranchi-smart-city-in-bangalore-investors-invited-in-the-auction-of-41-plots/">बेंगलुरुमें रांची स्मार्ट सिटी का इन्वेस्टर्स मीट, 41 प्लॉट्स की नीलामी में आमंत्रित किये गये निवेशक
पुतिन का मकसद कीव को बर्बाद करना नहीं
यह तो जेलेंस्की मजबूरी है या देशभक्ति की जज्बा या जिद्द है कि वो मैदान में डटे हुए हैं. वहीं पुतिन की भी तारीफ करनी पड़ेगी कि वो कीव पर दबाव धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं. अगर पुतिन ने चाहा होता तो कीव को कभी का ध्वस्त कर दिया होता. पुतिन का मकसद कीव को बर्बाद करना नहीं बल्कि कीव पर कब्जा कर जेलेंसकी को अपदस्थ करना और वहां क्रेमलिन समर्थक सरकार को स्थापित कर अमेरिका और नाटो को नीचा दिखाना है.सेंक्शन से रूस को नुकसान होगा
रूस-यूक्रेन क्राइसिस में एक बात खुल कर सामने आ गई है कि इराक, सीरिया, लीबिया, अफगानिस्तान और वियतनाम में कड़वा स्वाद चखने वाले अमेरिका ने यूक्रेन की जमीन पर कदम न रखने की कसम खा ली है. खास बात यह कि अमेरिकी फौजें तो यूक्रेन की जमीन पर उतर ही नहीं रही है. साथ ही बाकी पश्चिमी और यूरोपीय देश भी सिर्फ गाल बजा रहे हैं. सेंक्शन से रूस को नुकसान होगा, लेकिन तब तक रूस अपना काम कर चुका होगा. पुतिन ने साफ कर दिया है और अपने समर्थकों को बता दिया है कि वो कहते हैं वो करते हैं. उनके इरादे अटल हैं. यहां यह बात भी दुनिया के सामने साफ हो गई है कि अमेरिका या पश्चिमी देशों के कोरे बयानों के सहारे नहीं बल्कि अपनी बाजुओं की मजबूती के सहारे ही जंग के मैदान में उतरना चाहिए. इसे भी पढ़ें – विधानसभा">https://lagatar.in/ajsu-will-take-out-public-awareness-march-in-every-village-panchayat-before-the-assembly-gherao-2/">विधानसभाघेराव के पहले आजसू हर गांव-पंचायत में निकालेगी जनजागरण मार्च [wpse_comments_template]

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