Surjit Singh
एनडीए गठबंधन के बड़े नेता, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, छह राज्यों – असम, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के लिए आए. उन्होंने कथित तौर पर बांग्लादेशी घुसपैठ और ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे मुद्दों को उठाया. फिर भी, भाजपा केवल 21 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी, जो पिछले चुनाव से 6 सीट कम है. एनडीए को 23 सीटें ही मिली. यह संख्या इंडिया गठबंधन को मिली सीटें इसके आधे से भी कम हैं.
दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के राहुल गांधी केवल दो बार झारखंड आए. जो भी मेहनत हुई, वह हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की तरफ से की गई. दोनों ने 100 से अधिक सभाएं कीं. हेमंत को जेल भेजना कितना महंगा पड़ा, यह परिणाम से स्पष्ट है. इंडिया गठबंधन को 56 सीटें मिलीं, जिनमें से झामुमो के 34 सीटें हैं. झामुमो झारखंड में सबसे बड़ी पार्टी बनी है. ये परिणाम पिछली बार से अधिक हैं. हेमंत सोरेन ने एक बार फिर साबित किया कि वे झारखंड में अपराजित हैं.
हालांकि, प्रधानमंत्री और देशभर के बड़े नेताओं को झारखंड लाकर भी एनडीए सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं ला सकी. चुनावों के दौरान भाजपा की सबसे खराब स्थिति यह थी कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने यहां उपस्थित होकर स्थानीय नेताओं को पीछे छोड़ दिया. राज्य के नेताओं को नजरअंदाज किया गया, जिससे मीडिया में उनकी जगह नहीं बनी और सभाओं में भी मजबूत जगह नहीं मिली. नतीजा सामने है.
एनडीए सहयोगी आजसू पार्टी की भूमिका भाजपा की लुटिया डुबाने में महत्वपूर्ण रही. इसके सुप्रीमो सुदेश महतो ने सीट बंटवारे के दौरान भाजपा के नेताओं को नाकों चने चबा दिया. आजसू ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन शायद एक सीट पर जीत हासिल कर पाए. खुद सुदेश महतो सिल्ली से हारते दिख रहे हैं, जबकि झामुमो के अमित महतो उन्हें फिर से हराते नजर आ रहे हैं. भाजपा को अब आजसू को लेकर दुबारा विचार करना होगा.
कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की है, जो कि पिछले 18 सीटों से कम है. लेकिन कांग्रेस के लिए कह सकते हैं कि उसने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. चुनाव के दौरान यह कहा जा रहा था कि अगर झामुमो सत्ता से बाहर होगी, तो केवल तभी जब कांग्रेस का प्रदर्शन खराब होगा. कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि कांग्रेस बढ़िया प्रदर्शन कर पाएगी. लेकिन झामुमो के सहयोग से कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया.
इस बार का चुनाव राजद के लिए खास रहा. उसके 4 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. पलामू से लेकर संथाल तक राजद की उपस्थिति दर्ज हुई है. इस प्रकार, राजद ने झारखंड में एक बार फिर से अपनी मजबूत स्थिति बनाने में सफलता हासिल की है.
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