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समझिये, राष्ट्रीय औसत से ज्यादा चापानल होने के बाद भी 22,010 चापानल लगाने पर क्यों हो रहा संदेह

Ranchi: कल आपने पढ़ा कि झारखंड में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत से करीब दोगुना चापानल है. इसके बाद भी विभाग 22,010 चापानल लगाने जा रही है. इस पर 611.88 करोड़ रुपये खर्च होंगे. अब आप जानिये, क्यों इस योजना पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है. इसे भी पढ़ें -राष्ट्रीय">https://lagatar.in/1-average-for-the-national-average-150-people-the-average-of-jharkhand-1-for-80-people/14307/">राष्ट्रीय

औसत-150 व्यक्ति पर 1 चापानल, झारखंड का औसत-80 लोगों पर 1, फिर लगेंगे 22,010 नये चापानल

इन तथ्यों को समझिये

- ACB ने विपीन कुमार सिन्हा को चापानल के एवज में कमीशन लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया. - ACB जमशेदपुर ने विभाग के  शैलेश सिन्हा को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया. - ACB ने चाईबासा में विभाग के अनंत प्र. सिंह को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया. - विभाग के पंकज कु. सिन्हा पर चापानल लगाने में अनियमितता के आरोपी हैं. - विभाग के प्रदीप मांझी को चापानल लगाने में गड़बड़ी के आरोप में निलंबित किया गया. - विभाग के शिवकुमार पाठक दुमका में चापानल लगाने में गड़बड़ी के आरोपी. - सीताराम सिंह (सेवानिवृत्त) चापानल लगाने में गड़बड़ी के आरोपी. इसे भी पढ़ें -RAMGARH">https://lagatar.in/ramgarh-bpl-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%a8%e0%a4%b9%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%b2-%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a5%80-%e0%a4%b8/14696/">RAMGARH

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सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी लंबे समय तक झारखंड पेयजल स्वच्छता विभाग के मंत्री रहें. मनोज कुमार सिंह नामक व्यक्ति उनके पीए हुआ करते थे. मनोज कुमार सिंह के घऱ से 8 करोड़ रुपये नकद बरामद किया गया था. उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. माना जा रहा है कि मनोज कुमार सिंह के घर से जो रुपये बरामद किये गये, वह चापानल योजना समेत अन्य योजनाओं में कमीशन के रुप में वसूला गया था. इसे भी पढ़ें -कोविड-19">https://lagatar.in/deputy-commissioner-takes-stock-of-preparations-for-kovid-19-vaccination-rvs-and-dvs-arrived/14672/">कोविड-19

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चापानल लगवाने में बरती गयी गंभीर अनियमितता

पेयजल विभाग के इंजीनियरों व जिम्मेवारों ने चापानल लगवाने में गंभीर अनियमितता बरती है. सरकारी राशि की बंदरबांट किया गया. बगैर टेंडर के ही 144 स्कूलों में चापानल के लिए बोरिंग कराया गया था. स्कूलों में 200 फीट की जगह 100 फीट ही बोरिंग हुई. जबकि, भुगतान 200 फीट का किया गया. प्रत्येक स्कूल में 5500 रुपए से लेकर 24,000 रुपए तक अधिक का भुगतान किया गया था. जांच में तकरीबन हर जिले में ऐसी गड़बड़ी सामने आ चुकी है. इसे भी पढ़ें -बजट">https://lagatar.in/budget-2021-loss-of-14-lakh-crores-will-be-a-big-challenge-2/14721/">बजट

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चापानल लगाने की योजना पर उठ रहे सवाल

इन तथ्यों की वजह से पहले से ही ज्यादा चापानल उपलब्ध रहने के बाद भी और चापानल लगाने की योजना पर सवाल उठ रहे हैं. यह संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि विभाग के इंजीनियरो व अफसरों ने कमिशनखोरी के लिये ही इतनी बड़ी योजना तो तैयार नहीं की. सवाल यह भी उठ रहा है कि क्यों नहीं पहले से उपलब्ध चापानल को ही और बेहतर बनाया जाये. क्योंकि उसमें कम पैसे खर्च होंगे. नये चापानल लगाने की वजह से पुराने चापानल और ग्राउंड वाटर को लेकर भी गंभीर समस्या पैदा होने का खतरा है. इसे भी पढ़ें -Airtel">https://lagatar.in/airtel-denies-jios-charge-inciting-farmers-to-damage-towers/14715/">Airtel

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