- पूर्ववर्ती सरकार के समय ही इनकी सेवा हुई थी समाप्त, नहीं किया गया था वित्तीय वर्ष 2019-20 में बजट का प्रावधान
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले ही दे चुके हैं कर्मियों को आश्वासन, 4 नवंबर 2020 को हुई हैं मांग
Ranchi : संविदा विस्तार नहीं होने से बेरोजगार हो चुके राज्य भर के 332 ई मैनेजर्स के लिए एक राहत भरी खबर सामने आयी है. राज्य सरकार इन्हें सेवा विस्तार देने पर विचार कर सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने सभी जिलों से जिला व प्रखंड स्तर पर संविदा के आधार कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों से संबंधित प्रतिवेदन की मांग की है. यह मांग बीते 4 नवंबर 2020 को ही हुई है. रिपोर्ट आने के बाद इस बात सरकार आगे का निर्णय लेगी.
यह जानकारी बजट सत्र के दौरान सूचना,प्रौद्योगिकी व ई-गवर्नेंस विभाग ने दी है. ई-मैनेजरों के संविदा विस्तार से जुड़े मामले को लेकर कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के पूछे एक सवाल के यह जवाब सामने आया है.बता दें कि सरकार बदलने के बाद इन ई-मैनेजरों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जनवरी 2020 में मुलाकात की थी. इस दौरान हेमंत सोरेन ने रघुवर दास की सरकार में हटाये गये 332 ई-मैनेजर्स को फिर से बहाल करने का आश्वासन दिया था.
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जुलाई 2019 में रघुवर दास सरकार ने ही नहीं किया था बजटीय उपबंध
बता दें कि सेवा विस्तार देने की मांग को लेकर राजधानी में कई बार आंदोलन का रूख अख्तियार कर 332 ई-मैनेजर काफी परेशान हैं. इनकी नियुक्ति पिछली रघुवर सरकार के समय डिजिटल सेवाओं से जुड़े डीइजीएस सोसाइटी के तहत की गयी थी. हालांकि इन्हें सेवा विस्तार नहीं देने का निर्णय पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने ही लिया था. जुलाई 2019 में रघुवर दास की सरकार ने इन्हें बजटीय उपबंध नहीं होने का हवाला देकर कार्यमुक्त कर दिया था. जिसके बाद से सभी काफी परेशान थे. फिर ये कर्मी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उम्मीद लगाये थे कि सरकार उनके सेवा विस्तार पर विचार करें.
सेवा विस्तार नहीं देने का निर्देश 2 जुलाई 2019 को ही सभी डीसी को दी गयी थी
कहा गया है कि उपरोक्त सभी कर्मियों की सेवा विस्तार देने का निर्णय पूर्व की सरकार ने ही लिया था. इसकी सूचना बीते 2 जुलाई 2019 को ही सभी जिला डीसी को पत्र के माध्यम से दी गयी थी. रघुवर दास कैबिनेट के एक निर्णय में मात्र दो वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए ही इनकी नियुक्ति हुई थी. वहीं 2019-20 के बजट में इन कर्मियों के लिए कोई राशि का प्रावधान नहीं किया गया था.
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पहले भी पत्र लिख सेवा विस्तार देने की मांग कर चुके हैं प्रदीप
इससे पहले भी ई-मैनेजरों की संविदा पर नियुक्ति को लेकर प्रदीप यादव ने जून 2020 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कहा था कि 2017 में डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए नियुक्त सभी 332 ई-मैनेजर गरीबों को डिजिटली पैसा लेन-देन में मदद, राशन कार्ड संबंधी दिक्कतों का निवारण, राशन कार्ड का ऑनलाइन डाटा अपडेट करना, डीबीटी और कैशलेस भुगतान संबंधी समस्याओं के समाधान में मदद करने संबंधी कार्यों को अंजाम देते रहे हैं. अब इनकी सेवा नहीं होने से आम गरीब जनता को काफी परेशानी हो रही है. ऐसे में राज्यहित में गंभीरता पूर्वक विचार कर इनके सेवा अवधि देने सरकार विचार कर सकती है.
मनीष जायसवाल ने भी उठाया सवाल
मनीष जायसवाल का सवाल था कि 17257 स्वयंसेवक पंचायत सचिवालयों में काम करते हैं. इन्हें किसी प्रकार का मानदेय अथवा भत्ता नहीं दिया जाता है. इसलिए इन्हें सरकार की तरफ से मानदेय का भुगतान किया जाये. इस पर संसदीय कार्य तथा ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि मनीष जायसवाल का सवाल बहुत अच्छा है. लेकिन इन स्वयंसेवकों की बहाली वर्ष 2016 में हुई थी. और उस समय जो संकल्प बना था, उसमें साफ उल्लेख था कि इन्हें किसी प्रकार का वेतन, भत्ता या मानदेय नहीं मिलेगा. अब नयी सरकार है. हालांकि यह काम उस समय आपलोगों को ही करना चाहिए था. जब बीजेपी की सरकार थी. लेकिन आप लोगों ने कुछ नहीं किया. हमारी सरकार इस विषय पर जरूर सोच-विचार करेगी.
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