LagatarDesk : देश में कोरोना महामारी से लोग त्राहिमाम है. वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के कारण कई लोग बेरोजगार हो गये हैं. देश में बेरोजगारी दर में लगातार तेजी से इजाफा हो रहा है. लॉकडाउन के कारण कई लोगों का बिजनेस ठप हो गया है. 2021 के मार्च से मई महीने में देश में बेरोजगारी दर दोगुनी से भी अधिक हो गयी है. एक प्राइवेट रिसर्च ग्रुप द्वारा डेटा जारी किया गया है. जिसमें ये बात सामने आयी है.
लॉकडाउन और कोरोना महामारी का ग्रामीणों पर असर
निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने भी रिपोर्ट जारी किया. CMIE के साप्ताहिक बेरोजगारी के आंकड़ों के अनुसार, महामारी और लॉकडाउन का खामियाजा सबसे अधिक ग्रामीणों को भुगतना पड़ा है. 2020 में कोरोना महामारी और लॉकडाउन से सबसे अधिक शहरी क्षेत्र के लोग प्रभावित हुए थें. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की स्थिति काफी दयनीय है. CMIE ने उन लोगों को बेरोजगार के रूप में वर्गीकृत किया, जिन्होंने नौकरी की तलाश की. लेकिन एक सप्ताह में 1 घंटे से कम काम मिला.
16 मई तक बेरोजगारी दर 14.45 फीसदी पहुंची
CMIE आंकड़ों के अनुसार, 16 मई तक बेरोजगारी दर 14.45 प्रतिशत थी. पिछले 49 हफ्ते में यह सबसे उच्चतम दर है. जबकि 14 मार्च को ये आंकड़ा 6.63 प्रतिशत था. इसके अनुसार, बेरोजगारी दर मार्च से मई तक दोगुनी से भी अधिक हो गयी. 9 मई तक बेरोजगारी दर 8.67 फीसदी था. अगर इसकी तुलना 16 मई के आंकड़े से करें तो बेरोजगारी दर दोगुनी हुई है.
बेरोजगारी बढ़ी, रोजगार दर घटा
मार्च 2021 में बेरोजगारी दर करीब 6.63 फीसदी थी. अप्रैल में यह बढ़कर 7.97 फीसदी तक पहुंच गयी. वहीं दूसरी ओर रोजगार दर की बात करें तो अप्रैल 2021 में रोजगार दर गिरकर 36.8 फीसदी रह गयी. मार्च में यह 37.6 फीसदी थी.
2020 की तुलना में 2021 में बेरोजगारी दर कम
आपको बता दें कि पिछले साल कोरोना की पहली लहर और संपूर्ण लॉकडाउन के कारण मई महीने में सबसे अधिक बेरोजगारी गर थी. मई 2020 में बेरोजगारी दर करीब 21.73 फीसदी की उंचाई पर पहुंच गयी थी. कोरोना की दूसरी लहर में बेरोजगारी दर भी रिकॉर्ड स्तर पर है. हालांकि यह पिछले साल के मुकाबले कम है. 2021 में अप्रैल में कई लोग बेरोजगार हो गये.
मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी कम
गंभीर स्थिति का एक और संकेत ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में पाया गया है. इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी के तहत दिये गये काम में भारी वृद्धि हुई है. मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी कम है. साथ ही मजदूरी के भुगतान में भी देरी होती है. जिसके कारण मजदूर इसको कम प्राथमिकता देते हैं.
मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी न्यूनतम मजदूरी दर से कम
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मनरेगा के तहत मई में लगभग 1.85 करोड़ लोगों को काम का प्रस्ताव दिया गया. 2019 की तुलना में यह 52 प्रतिशत से अधिक है. मनरेगा के तहत मजदूरी की दर 16 राज्यों में आधिकारिक न्यूनतम मजदूरी दर से कम है. वहीं मनरेगा के तहत काम खत्म होने के 15 दिन बाद मजदूरों को भुगतान किया जाता है.