साजिश के तहत अलग कर दिया गया
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केडी सिंह ने कहा कि एक साजिश के तहत मगही एवं भोजपुरी को भाषा से अलग कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि हमें सांस्कृतिक विरासत को नहीं भूलना चाहिये. मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषा को स्थानीय भाषा के रूप में मान्यता मिलना चाहिए. पलामू के लोगों को उनका हक एवं अधिकार मिले. उन्होंने कहा कि संघर्ष बड़ी चीज है. गढ़वा, पलामू, देवघर एवं गोड्डा के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार पारा शिक्षकों के मुद्दे पर लगातार झूठ बोल रही है और लोगों को धोखा दे रही है. शिक्षक और पारा शिक्षक में मतभेद पैदा कर दिया गया है. शिक्षक शिक्षक होते हैं जो शिक्षा एवं संस्कार देते हैं. सरकार को उनका वाजिब हक देना पड़ेगा.सरकार हेमंत नहीं ब्यूरोक्रेट्स चला रहे हैं
इंटक नेता कन्हैया चौबे ने कहा कि सरकार हेमंत नहीं ब्यूरोक्रेट्स चला रहे हैं. उन्हें क्या मतलब है पलामू एवं झारखंड से. उन्हें तो मात्र अपनी कुर्सी की चिंता है, चाहे सरकार किसी की हो. उन्होंने कहा कि यहां लड़ाई भाषा की है. सरकार को झुकना पड़ेगा और पलामू के लोगों को उनका हक एवं अधिकार देना पड़ेगा. कांग्रेस नेता शैलेश चौबे ने कहा कि मगही भोजपुरी भाषा को नियोजन नीति में सरकार द्वारा स्थान नहीं दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. भाषा से सांस्कृतिक जुड़ाव है. यहां तो भाषा का सवाल है. उन्होंने सरकार से नियोजन नीति में मगही एवं भोजपुरी भाषा को शामिल करने की मांग की. गोष्ठी में नगर पंचायत अध्यक्ष विजयालक्ष्मी देवी, अभय पांडेय, डॉ प्रदीप शर्मा, शिवशंकर प्रसाद, शिवकुमार सिंह, सुशील चौबे, राजेश रजक, बबन पासवान, कमला सिंह, दयानंद पांडेय, रामजन्म पासवान, घनश्याम पाठक, रामानंद पांडेय, गदाधर पांडेय, महेंद्र पाल, अमानत हुसैन, छोटेलाल मेहता आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किये.गोष्ठी का संचालन कृष्णा रागी ने किया. इसे भी पढ़ें – [wpse_comments_template]हाईकोर्ट">https://lagatar.in/high-courts-female-lawyer-had-to-lose-the-case-getting-threats/">हाईकोर्टकी महिला वकील को केस हारना पड़ा महंगा, मिल रही धमकी
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