Lagatar Desk
विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले हुए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव का रिजल्ट आ चुका है. चुनाव रिजल्ट देखने से स्पष्ट संदेश मिल रहे हैं कि कोरोना काल में सरकारी बदइंतजामी के कारण सत्तारुढ़ दल भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है. इसके अलावा किसान आंदोलन से भी भाजपा को झटका लगा है. भाजपा ने 80 प्रतिशत सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य रखा था.
अयोध्या, गोरखपुर व मथुरा में मिली हार
आंकड़े के मुताबिक अयोध्या के 40 जिला पंचायतों में से सिर्फ आठ सीटें भाजपा को मिली. यह स्थिति तब है जब जिले के सभी विधायक भाजपा के हैं. इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इलाका गोरखपुर में भी भाजपा के लिये खुश होने वाली खबर नहीं है. वहां भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों ने 20-20 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि 23 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की औऱ निषाद पार्टी को भी कुछ सीटें मिली हैं. यही हाल मथुरा इलाके की भी है. मथुरा के 33 सीटों में सिर्फ छह सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीत पाये.
पीएम मोदी का गढ़ भी हिल गया
जो परिणाम सामने आ रहे हैं, उसमें पीएम का गढ़ वाराणसी भी भाजपा के हाथ से निकलता दिख रहा है. इस इलाके में समाजवादी पार्टी ने जहां 14 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं भाजपा को सिर्फ 8 सीटें मिली हैं. जबकि बसपा ने पांच, अपना दल ने तीन और आम आदमी पार्टी ने एक-एक सीट पर दर्ज की. तीन निर्दलीय प्रत्याशियों को भी जीत मिली है.
अमेठी में सपा ने दी टक्कर
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के अमेठी इलाके में कुल 35 सीटों पर भाजपा को सपा से कड़ी टक्कर मिली है. दोनों पार्टी की झोली में 9-9 सीट आये हैं. जबकि बसपा और कांग्रेस को दो-दो सीटें मिली हैं. 12 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज की है.
आम आदमी पार्टी का बड़ा दावा
इस बीच आम आदमी पार्टी ने दावा किया है कि ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत की कम से कम 350 सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. पार्टी के यूपी प्रवक्ता ने कहा है कि लोग कहते थे यूपी में जाति और धर्म ही चलता है. इस बार ऐसा नहीं हुआ है. बिजली, पानी, स्वास्थ्य व शिक्षा के मुद्दे पर भी लोगों ने वोट किये हैं औऱ उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को जीत दिलायी है.