Dr Anuj Kumar
एक ऐसा भ्रष्ट सिस्टम जिसकी नींव सामंतवादी सोच पर आधारित है.
एक ऐसा भ्रष्ट सिस्टम जिसकी न कोई जवाबदेही है और न जिम्मेदारी.
एक ऐसा सिस्टम जिसकी उपयोगिता और उपलब्धिता दोनों नगण्य हैं.
A system With Complete Authority And Zero Accountability.
एक लोकतांत्रिक देश में, जो जनता के दिए टैक्स पर चलता है, वहां ऐसी राजशाही व्यवस्था का न कोई स्थान होना चाहिए था और न कोई औचित्य.
आप खोज लीजिए कि इस तंत्र ने इस देश को क्या दिया है.
10 ढंग की उपलब्धियां नहीं गिना पाएंगे. वही मनरेगा और आधार गिनाएंगे ये.
अरे उपलब्धि छोड़िए, आप कुछ देर के लिए सोचें और एक चीज बताएं इस देश में जो बिल्कुल सुव्यवस्थित है.
सिर्फ़ एक चीज..
जन्म प्रमाण पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक.
आपको एक ऐसी चीज नहीं मिलेगी जो आप कह सकें कि सिस्टम एकदम दुरुस्त है, एकदम streamlined है.
तस्वीर में एक IRS अधिकारी के यहां से छापे में मिली एक छोटी धन राशि
कहते हैं कि चारित्रिक निर्माण की सही उम्र 18-21 वर्ष है. और UPSC के चयन की न्यूनतम आयु ही 21 वर्ष है, क्योंकि चारित्रिक निर्माण कभी इस तंत्र का ध्येय था ही नहीं.
इसका ध्येय ही था राजशाही व्यवस्था को बनाए रखना, लोकतंत्र के नाम पर.
एक अधिकारी सोलर प्लांट लगाने के लिए 5% कमीशन मांग रहा है तो लोग हाय तौबा मचा रहे हैं.
आप बताइए कि सोलर प्लांट 1 साल में लगे, 5 साल में लगे, 50 साल में लगे या न लगे, क्या कोई ज़िम्मेदारी है इन अधिकारियों की?
नहीं है. प्लांट लगे या न लगे, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. कमीशन दीजिएगा तो लगाने की परमिशन मिलेगी, नहीं दीजिएगा तो नहीं मिलेगी. बात बस इतनी ही है. फिर क्यों न मांगे वो कमीशन?
वो तो अपनी किस्मत मानिए कि कुछ ऐसे मुट्ठी भर लोग हैं जो ऐसे corrupt सिस्टम में रहकर भी ईमानदार हैं और एक हद तक न्यायपालिका का शिकंजा है, जिसकी वजह से ये देश चल रहा है, वरना कब का बिक चुका होता देश.
आप ऐसी व्यवस्था को बनाए रखने का जो भी तर्क ढूंढे, सवाल यही रहेगा कि
तू इधर उधर की न बात कर,
ये बता कि क़ाफ़िले क्यूं लुटे.