New Delhi : अमेरिका के एक आयोग द्वारा हाल ही में जारी की गयी एक रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताये जाने पर विवाद हो गया है. भारत ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए ऐतराज जता चुका है. अब खबर आयी है कि भारत का दोस्त रूस भी इस रिपोर्ट को लेकर अमेरिका पर बरस पड़ा है. रूस ने इस रिपोर्ट को भारत में दखलअंदाजी करने का एक टूल करार दिया है.
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अमेरिका भारत में अस्थिरता फैलाना चाहता है
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा का कहना है कि यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में जारी की गयी है,जब भारत में आम चुनाव हो रहे हैं. इसके जरिए अमेरिका भारत में अस्थिरता फैलाना चाहता है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी आयोग रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह भारत की चुनावी प्रक्रिया में दखल देने जैसा है. वैसे इस अमेरिकी आयोग द्वारा भारत के संदर्भ में की गयी सिफारिशों को अमेरिकी विदेश मंत्रालय खारिज करता रहा है.
अमेरिका को भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहना चाहिए
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत में हो रहे आम चुनाव के समय में रिपोर्ट में गैरवाजिब सवाल उठाये गये हैं. जाखारोवा ने कहा कि रिपोर्ट भारत का एक देश के तौर पर अपमान करने वाली है. रशिया टुडे टीवी चैनल ने विदेश मंत्री के हवाले से कहा है कि रिपोर्ट जारी करने की वजह यह है कि भारत की आंतरिक राजनीति में दखल देते हुए वहां अस्थिरता पैदा की जाये. अमेरिका को सलाह दी कि भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहना चाहिए.
भारत को चिंता वाले देशों की श्रेणी में डाला जाये
अमेरिकी आयोग की सालाना रिपोर्ट पर नजर डालें तो इसमें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई गयी है. एक बात और कि आयोग ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय से सिफारिश की है कि भारत को चिंता वाले देशों की श्रेणी में डाला जाये. इतना ही नहीं, रिपोर्ट में आरोप लगाया लगाया गया है कि भारत में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा भेदभावपूर्ण नीतियां लागू कर रही है. रिपोर्ट में CAA, गोहत्या कानून, विदेशी चंदा अधिनियम और आतंकवाद से निपटने के लिए बने UAPA पर प्रश्नचिह्न लगाया गया हैं.
CAA, UAPA कानून अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रहे हैं
अमेरिकी आयोग का आरोप है कि यह कानून अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रहे है. उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. बेवजह लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है मॉनिटरिंग की जा रही है. इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि भारत सरकार ने विदेशी संस्थाओं पर कड़े नियम लागू कर दिये हैं, ताकि वे भारत के आंतरिक मामलों में दखल न दे सकें. अमेरिकी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मीडिया और गैर-सरकारी संस्थानों पर नजर रखी जा रही है, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के मामलों पर रिपोर्टिंग करते हैं.
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