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अमेरिकी मीडिया CNN का सवाल विदेशी मदद आखिर जरूरतमंदों तक क्यों नहीं पहुंच रही है ?

Lagatar Desk

दुनिया ने करोड़ो की कोविड सहायता राशि भारत को भेजा लेकिन वह जरूरतमंदों तक क्यों नहीं पहुंच रहा है ? यह हेडलाइन सीएनएन की है. एक ओर लंदन में बैठ कर विदेश मंत्री जयशंकर भारत के छवि निर्माण में लगे हुए हैं. दूसरी ओर सीएनएन की इस खबर ने दुनिया को ऐसी सूचना दी है जिस पर भारत में कोई चर्चा नहीं हो रही है. अपवाद में कुछ नेताओं ने जरूर विदेश मदद की हकीकत को सार्वजनिक करने और  और उसके पारदर्शी वितरण को वेबसाइट पर डालने की मांग किया है. लंदन से प्रकाशित द इंडिपेंडेंट के एशिया परिशिष्ट में भी शिप्पी खोरसांडी ने भारत में विदेशी सहायता को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के सवाल पर गंभीर सवाल उठाए हैं. शिप्पी के सवाल बेहद गंभीर हैं.

सीएनएन चैनल ने यह भी बताया है कि किस तरह भारत के प्रधानमंत्री  के खिलाफ कोराना महामारी के राकने के नाकाफी प्रयासों की आलोचन तीब्र हो रही है. कोविड-19 से तबाह होते भारतीय समाज और यहां के सडे हुए अमानवीय सत्ता तंत्र को लेकर इस वक़्त बेहतरीन खबरें, विश्लेषण और आलेख भारत के मीडिया में उतने नहीं हैं, जितने विदेशी मीडिया में. इस वक्त BBC, CNN, CNA, DW, Al JAZEERA, France24 और ABC जैसे न्यूज़ चैनलों में भारत की जितनी महत्वपूर्ण खबरें दिख रही हैं, भारत के अख्बारों और चेनलों में उसका दसांश भी नहीं! इसी तरह NYTimes, Washington Post, WSJ, The Times, Gaurdian और Time आदि जैसे पत्र-पत्रिकाओं में भारत पर जितनी प्रामाणिक व शोधपरक खबरें और विश्लेषणात्मक लेख छप रहे हैं.

सीएनएन पोर्टल पर जेसी यु्ंग, मनवीना सूरी और स्वाति गुप्त ने विदेशी मदद और उसके वितरण को ले कर एक लंबा खोजपरक रिपोर्ट प्रकाशित किया है. रिपोर्ट के अनुसार चिकित्साकर्मी और स्थानीय अधिकारी अभी भी उसी विनाशकारी कमी की रिपोर्ट कर रहे हैं जिसने हफ्तों से स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को तनाव में डाल दिया है, यहां तक कि विदेशी दाताओं के बीच, जहां सहायता चल रही है, सवाल उठा रहे हैं. अमेरिकी ब्रीफिंग ट्रांसक्रिप्ट के अनुसार, "अमेरिकी करदाताओं के पैसे के लिए जवाबदेही" की मांग करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग की एक खबर में शुक्रवार को एक रिपोर्टर ने पूछा कि अमेरिकी सहायता कहां है. "यह जांचने के लिए कुछ किया जा रहा है कि इसे कैसे वितरित किया जा रहा है, जो सहायता हम भेज रहे हैं?"

इस रिपोर्ट के अनुसार मदद के वितरण के संदर्भ में केंद्र सरकार के दावे के बाद लेकिन जमीन पर, कई राज्य और स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि केंद्र सरकार की ओर से कोई सूचना नहीं दी गयी है कि उन्हें कैसे या कब राहत मिलेगी. वितरण को लेकर भारतीय मीडिया ने उजागर किया है कि मदद प्राप्त करने के पहले सरकार के पास कोई प्रोटोकाल नहीं था. इस रिपोर्ट के अंत में रिपोर्टरों ने लिखा है सरकार दावा कर रही है कि ट्रेन के माध्यम से मदद को जहां जरूरत है भेज दिया गया है. लेकिन जब तक ये आपूर्ति नहीं पहुंचती है, घरेलू संयंत्रों या विदेशी दाताओं से, मरीजों के पास इंतजार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है. 5 मई को छपे इस रिपोर्ट की दुनिया भर में खूब चर्चा हो रही है.