: येदुरप्पा सरकार कटघरे में, मंत्री का आरोप, सीएम उनके काम में दखल दे रहे हैं, गवर्नर, पीएम, शाह को लिखी चिट्ठी
आलोचनात्मक खबरें लिखने वाले मीडिया के दमन की कोशिश
बता दें कि रिपोर्ट में प्रेस फ्रीडम को लेकर कहा गया है कि आम तौर पर भारत सरकार ने इसकी जरूरत का समर्थन किया है, लेकिन ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जहां सरकार या सरकार के करीबी लोगों ने ऑनलाइन ट्रोलिंग समेत विभिन्न तरीकों से आलोचनात्मक खबरें लिखने वाले मीडिया के दमन की कोशिश की है. रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन ने मीडिया की आवाज दबाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा, मानहानि, राजद्रोह, हेट स्पीच कानून के साथ-साथ अदालत की अवमानना जैसे कानूनों का सहारा लिया है. इसे भी पढ़ें : ">https://english.lagatar.in/inauguration-of-maha-kumbh-in-haridwar-first-royal-bath-somvati-amavasya-on-12-april/44287/">हरिद्वार में महाकुंभ का शुभारंभ, पहला शाही स्नान सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को
द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन का भी जिक्र
इस संदर्भ के तहत अमेरिकी रिपोर्ट में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन का भी जिक्र किया गया है, जिनके खिलाफ यूपी की योगी सरकार ने महज एक ट्विटर पोस्ट को लेकर मामला दर्ज कराया था. वरदराजन ने अपने एक ट्वीट में कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान हुए धार्मिक आयोजनों की रक्षा भगवान करेंगे. हालांकि बाद में वरदराजन ने इसे लेकर स्पष्टीकरण दिया था कि योगी आदित्यनाथ ने ऐसा नहीं कहा था, लेकिन बावजूद इसके उनके खिलाफ आईटी एक्ट, आईपीसी, आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी बीमारी अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.फेस ऑफ द नेशन के संपादक पर राजद्रोह का मामला
इस क्रम में गुजराती समाचार पोर्टल फेस ऑफ द नेशन के संपादक धवल पटेल का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, इस रिपोर्ट के लिए पिछले साल 11 मई को धवल के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. रिपोर्ट में स्क्रॉल.इन की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा का भी जिक्र है, जिनके खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में लॉकडाउन की स्थिति पर रिपोर्ट छापने के मामले में केस दर्ज किया गया था. सुप्रिया के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं क तहत मामला दायर किया किया गया था. हालांकि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्रकार को तत्काल राहत दी थी, लेकिन मामले में जांच करने की इजाजत भी दी.कारवां पत्रिका के तीन पत्रकारों पर हमले का मामला
दिल्ली दंगे को लेकर रिपोर्टिंग कर रहे कारवां पत्रिका के तीन पत्रकारों पर हुए हमले का भी विवरण दर्ज है कि किस तरह से पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं किया. अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में भारत में एक दर्जन से अधिक मानवाधिकारों से जुड़े अहम मुद्दों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें पुलिस द्वारा गैर न्यायिक हत्याओं समेत हत्याएं, कुछ पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करना, क्रूरता, अमानवीयता या अपमानजनक व्यवहार या सजा के मामले, सरकारी अधिकारियों द्वारा मनमानी गिरफ्तारियां और कुछ राज्यों में राजनीतिक कैदी का मामला शामिल हैं. इससे पूर्व अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तपोषित गैर सरकारी संगठन फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में भी दावा किया गया थी कि भारत में नागरिक स्वतंत्रताओं का लगातार क्षरण हुआ है. संगठन ने भारत के दर्जे को घटाकर ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ श्रेणी में डाल दिया था. हालांकि भारत ने इस रिपोर्ट को भ्रामक, गलत और अनुचित माना था. https://english.lagatar.in/news-of-150-percent-increase-in-imports-despite-pm-modis-vocal-for-local-appeal/44583/https://english.lagatar.in/karnataka-high-court-orders-inquiry-against-cm-yeddyurappas-role-in-operation-kamal/44510/
Leave a Comment