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कल्पतरू वृक्ष का जिक्र पुराणों में
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि लुप्तप्राय कल्पतरू वृक्ष का जिक्र पुराणों में है. मान्यता है कि कल्पतरू वृक्ष के नीचे बैठकर जो कुछ भी मांगा जाये, वह सारी मुरादें पूरी हो जाती है. इस वृक्ष के लगने से यह जनजातीय विभाग धन्य हो गया. सांस्कृतिक और आन्दोलनों का केन्द्र रहा इस ऐतिहासिक परिसर में कल्पतरू वृक्ष का लगना एक शुभ संकेत है. यह वृक्ष अपनी विशालकाय संरचना के साथ-साथ ये अपनी पौराणिक महत्वों और औषधीय गुणों के कारण भी जाना जाता है. बता दें कि हिन्दुओं की पौराणिक कथाओं के अुनसार कल्पतरु को ईश्वरीय वृक्ष माना गया है. वेदों के अनुसार इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. इसे भी पढ़ें-गढ़वा:">https://lagatar.in/garhwa-bhanu-pratap-shahi-presented-the-picture-of-lord-banshidhar-to-draupadi-murmu/">गढ़वा:द्रौपदी मुर्मू को भानू प्रताप शाही ने भगवान बंशीधर की तस्वीर की भेंट मौके पर ये रहे मोजूद इस दुर्लभ कल्पतरु वृक्ष लगाने के मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के प्राध्यापक कुमारी शशि, तारकेश्वर सिंह मुण्डा, किशोर सुरीन, मनय मुण्डा, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. रामकिशोर भगत, डॉ. नकुल कुमार, विजय आनन्द, रवि कुमार, योगेश प्रजापति, नूतन कच्छप, सहला सरवर, विक्की मिंज, तनु कुमारी, प्रतिभा कुमारी, प्रिया ठाकुर, कमल मुण्डा, नवल किशोर, पप्पू बांडो, गुलाम सादिक, नूतन कुमारी के अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्र छात्राएँ मौजूद थे. [wpse_comments_template]
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