Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों को पुलिस थानों में खुले आसमान के नीचे तब तक रखने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि जांच के लिए उनकी उपस्थिति आवश्यक न हो. यह मामला पुलिस द्वारा डोडा के अवैध तस्करी में इस्तेमाल के दौरान जब्त किए गए वाहन से जुड़ा था. याचिकाकर्ता ने पुलिस द्वारा जब्त की गई मोटरसाइकिल को मुक्त करने के लिए पहले चतरा सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था. ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अनीता देवी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसपर हाईकोर्ट ने न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट में सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जब्त वाहन का मूल्य प्रतिदिन घटता जा रहा है क्योंकि इसे पुलिस स्टेशन परिसर में बिना देखभाल के रखा गया है. इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि भविष्य में अदालत या पुलिस द्वारा मांगे जाने पर मोटरसाइकिल पेश कर देंगे. कोर्ट ने मोटरसाइकिल को रिलीज करने का आदेश देते हुए यह शर्त रखी कि जब तक मामला लंबित है, तब तक याचिकाकर्ता वाहन को न तो बेचेगा, न ही गिरवी रखेगा, न ही उसका स्वामित्व हस्तांतरित करेगा और न ही किसी अन्य को इसे चलाने देगा. इसके साथ ही अदालत ने यह भी शर्त रखी कि मामले के लंबित रहने के दौरान वाहन की पहचान में कोई परिवर्तन या छेड़छाड़ नहीं करेगा.
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