New Delhi : विश्व हिंदू परिषद ने समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि एक समान कानून 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लायेगा. विहिप ने समान नागरिक संहिता के विषय को नारी सम्मान से जोड़ते हुए सवाल किया कि जब आपराधिक कानून, संवाद कानून, कारोबार से जुड़े कानून एक समान हैं तब परिवार से जुड़े कानून अलग क्यों हों ? नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
कुछ राजनीतिक दलों और मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं ने विरोध किया है
विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने कल अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता बनाने पर बल दिया. इसका कुछ राजनीतिक दलों और मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं ने विरोध किया है. विश्व हिंदू परिषद प्रधानमंत्री की बात से सहमत है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी सरकारों को यह निर्देश दिया गया है कि वह एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करें. कुमार ने कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य है कि संविधान बनने के 73 साल बाद जो सांसद और विधायक संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ लेते हैं, वे इसका पालन नहीं कर सके.
समान नागरिक संहिता लंबे समय से भाजपा के तीन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया था कि ‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’ उन्होंने कहा था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है.
पीएम के बयान के बाद AIMPLB की आपातकालीन बैठक
समान नागरिक संहिता (UCC) पर 27 जून को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मध्य प्रदेश में दिये गये बयान के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्यों में खलबली मच गयी. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तत्काल एक आपातकालीन बैठक बुलाई. जानकारी के अनुसार 27 जून को देर रात तक चली बैठक में AIMPLB ने UCC का विरोध करने के फैसले पर मुहर लगाई. बैठक में लॉ कमीशन को सौंपे जाने वाले दस्तावेजों भी तैयार किये गये.
हम लॉ कमीशन के सामने अपनी बात रखेंगे
आपातकालीन बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अरशद मदनी और मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली शामिल हुए. हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हम समान नागरिक संहिता का पुरजोर विरोध करते है. कहा कि इस संबंध में हम लॉ कमीशन के सामने अपनी बात रखेंगे. मौलाना का कहना था कि UCC का न केवल मुसलमानों बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और भारत के सभी अल्पसंख्यकों पर असर पड़ेगा.