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कुलपति दिनेश सिंह कारनामा : नहीं दे रहे हैं विश्वविद्यालय का 20 हजार रुपया

Ranchi : नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश कुमार सिंह का नया कारनामा सामने आया है. वह इससे पहले रांची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के रूप में कई कारनामों को अंजाम दे चुके हैं. उनका नया कारनामा विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के रूप में काम करने के दौरान गाड़ी के निजी इस्तेमाल से संबंधित है. इस मद में उनसे  वसूली की जानी हैं. विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने दिनेश सिंह को रिमाइंडर भेज कर 20,761 रुपया जमा करने का अनुरोध किया है.

 

विनोबा भावे विश्वविद्यालय की ओर से इस मामले में भेजे गये रिमाइंडर में कहा गया है कि कुलपति के सरकारी काम काज के लिए एक गाड़ी (JH02BG-2320) निर्धारित है. इस गाड़ी का निजी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. निजी इस्तेमान करने पर खर्च के भुगतान का प्रावधान है.

 

दिनेश सिंह ने विनोबा भावे विश्वविदायालय के प्रभारी कुलपित के रूप में काम करने के दौरान इस गाड़ी का निजी इस्तेमाल किया. उन्होंने इस गाड़ी से लखनऊ, बरेली, पंतनगर और बनारस की निजी यात्रा की. 13 मार्च 2025 से 17 मार्च 2025 की अवधि में उन्होंने राज्य से बाहर निजी काम के लिए विश्वविद्यालय की इस गाड़ी से 2,332 किलोमीटर की यात्रा की. इस यात्रा पर 20,761 रुपये का इंधन खर्च हुआ है.

 

विनोबा भावे विश्विद्यालय ने दिनेश सिंह से यह पैसा जमा करने का अनुरोध किया था. लेकिन उन्होंने अब तक पैसा जमा नहीं किया है. इसलिए विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने पैसा जमा करने के लिए रिमाइंडर भेजा है. विश्वविद्यालय की ओर से भेजे गये रिमाइंडर में दिनेश सिंह से यह अनुरोध किया गया है कि वह विश्वविद्यालय की गाड़ी से की गयी निजी यात्रा पर हुए खर्च का भुगतान विश्वविद्यलय के पंजाब नेशनल बैंक के खाते में जमा करा दें.

 

उल्लेखनीय है कि दिनेश सिंह ने विनोबा भावे और रांची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के रूप में काम करने के दौरान कई कारनामों को अंजाम दिया है. विनोबा भावे विश्विद्यालय के प्रभारी कुलपति के रुप में काम करने के दौरान उन्होंने दो करोड़ रुपये की लागत से गेस्ट हाउस के Renovation का प्रस्ताव तैयार कर भेजा था. इस पर फ़ाईल नंबर का उल्लेख नहीं किया गया था. उनके इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था.  

 

दिनेश सिंह ने विश्वविद्यालय में मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर नया टेंडर प्रकाशित कर दिया था. हालांकि विश्वविद्यालय के नियमित कुलपति ने टेंडर को रद्द कर दिया था. 

 

रांची विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति के रूप में काम करने के दौरान उन्होंने एक व्यक्ति को करोड़ो का सप्लाई ऑर्डर देने के लिए खूटी के एक कालेज के प्राचार्य पर दवाब डाला था. इन मामलों से संबंधित शिकयत मिलने के बाद राज्यपाल ने उन्हें रांची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति पद से हटा दिया था.

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