NewDelhi : भगवा में क्या गलत है? यह सवाल उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का है. श्री नायडू ने शनिवार को देश से मैकाले की शिक्षा नीति (Macaulay system of education) को पूरी तरह से खारिज करने का आह्वान करते हुए यह कहा. उन्होंने कहा कि सरकार पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप है, लेकिन भगवा में क्या गलत है? कहा कि थॉमस बबिंगटन मैकाले एक ब्रिटिश इतिहासकार थे जिन्होंने भारत में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी की शुरूआत में एक प्रमुख भूमिका निभाई.
उपराष्ट्रपति ने हरिद्वार की देव संस्कृति यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान का उद्घाटन किया. उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयों को अपनी औपनिवेशिक मानसिकता छोड़ देनी चाहिए अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करना सीखना चाहिए.
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Colonial rule ने हमें खुद को एक कमजोर नस्ल के रूप में देखना सिखाया
नायडू ने यह भी कहा कि शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण भारत की नयी शिक्षा नीति का केंद्र है, जो मातृभाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर देती है. उन्होंने कहा, हम पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप है, लेकिन फिर भगवा में गलत क्या है? कहा कि सदियों के औपनिवेशिक शासन (Colonial rule) ने हमें खुद को एक कमजोर नस्ल के रूप में देखना सिखाया. हमें अपनी संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान का तिरस्कार करना सिखाया गया.
इसने एक राष्ट्र के रूप में हमारे विकास को धीमा कर दिया. हमारे शिक्षा के माध्यम में एक विदेशी भाषा को लागू करने से शिक्षा सीमित हो गयी. एक तरह से आरोप लगाया कि समाज का एक छोटा सा वर्ग शिक्षा के अधिकार से एक बड़ी आबादी को वंचित कर रहा है.
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हमें अपनी विरासत, अपनी संस्कृति पर गर्व महसूस करना चाहिए
नायडू ने कहा कि हमें अपनी विरासत, अपनी संस्कृति, अपने पूर्वजों पर गर्व महसूस करना चाहिए. हमें अपनी जड़ों की ओर वापस जाना चाहिए, उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागना का बात कही. बच्चों को उनकी भारतीय पहचान पर गर्व करना सिखाने की बात भी कही. कहा कि हमें अपने शास्त्रों को जानने के लिए संस्कृत सीखनी चाहिए, जो ज्ञान का खजाना है.
युवाओं को अपनी मातृभाषा का प्रचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा, मैं उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूं जब सभी नोटिफिकेशन राज्य की मातृभाषा में जारी की जायेंगी. आपकी मातृभाषा आपकी दृष्टि की तरह है. उन्होंने कहा कि भारत आने वाले विदेशी व्यक्ति अंग्रेजी जानने के बावजूद अपनी मातृभाषा में बोलते हैं क्योंकि उन्हें अपनी भाषा पर गर्व है.
सिंधु घाटी सभ्यता अफगानिस्तान से गंगा के मैदानों तक फैली हुई है
नायडू ने कहा, सिंधु घाटी सभ्यता अफगानिस्तान से गंगा के मैदानों तक फैली हुई है. किसी भी देश पर पहले हमला न करने की हमारी नीति का पूरी दुनिया में सम्मान किया जाता है. यह योद्धाओं का देश है. यह राजा अशोक महान का देश है जिन्होंने हिंसा पर अहिंसा और शांति को चुना.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक समय था जब दुनिया भर से लोग नालंदा और तक्षशिला के प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए आते थे. भारत ने कभी किसी देश पर हमला करने के बारे में नहीं सोचा क्योंकि हम मानते हैं कि दुनिया को शांति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को प्रकृति के निकट संपर्क में रहना भी सिखाया जाना चाहिए. प्रकृति एक अच्छी शिक्षक है.