चिंता : झारखंड के ग्रामीण इलाको में फैलने लगा कोरोना का संक्रमण, कारण बना बाजार,बरात और शादीयां
Pravin kumar
Ranchi : झारखंड में कोरोना संक्रमण का ग्राफ लगातार">https://lagatar.in/">लगातार
बढ़ता जा रहा है. शहरों से संक्रमण अब गांवों में भी जा रहा है. महामारी के दौर में ग्रामीण इलाकों में बारात ,बाजार और शादी के आयोजन संक्रमण को खुला न्योदता दे रहे हैं. जिससे गांव भी अब संक्रमण के केंद्र बन रहे हैं. इन आयोजनों में लोग भारी संख्या में जमा हो रहे हैं. सर्दी, खांसी और कई दिन बुखार रहने के बाद भी ग्रामीण जांच करवाना नहीं चाह रहे हैं. कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों को ग्रमीण "खराब हवा" मानकर घरों में ही रह कर ही मेडिकल प्रैक्टिशनर (गैर रजिस्टर्ड झोलाछाप डॉक्टर) से इलाज करा रहे हैं.
ग्रामीण अंचलों में शादी,बाजार और बारात में कोरोना गाइडलाइन का पलान नहीं हो पा रहा है. ग्रामीण इलाके में कोरोना संक्रमण के शुरूआती लक्षण के बाद भी लोग जांच करवाने से बच रहे हैं. चिंताजनक स्थिती तो यह है ग्रामीण इलाकों में इसका फैलाव राज्य को विकट संकट में खड़ा कर देगा. सरकारी प्रयास के साथ ही साथ कोरोना के खिलाफ जंग में जन भागीदारी की जरूरत है.
कोरोना के खिलाफ जंग में जन भागीदारी जरूरी
29 अप्रैल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पंचायत प्रतिनिधियों से बात कर ग्रामीण इलाकों में महामारी को के फैलाव को रोकने की दिशा में मजबूत पहल की शुरूआत की. इसके लिए हेमंत सोरेन ने सभी जिलों के उप विकास आय़ुक्त, डीपीआरओ, डीपीएम और जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के कार्यकारी परिषद के प्रधानों के साथ ऑनलाइन विचार विमर्श किया. बैठक में शामिल जिला से पंचायत तक के प्रतिनिधयों के सुझाव के अनुसार ही कार्यनीति बनने की बात भी सामने आयी.
सबसे ज्याद केस रांची,जमशेदपुर और हजारीबाग से आ रहे
झारखंड में कोविड मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सबसे ज्यादा मरीज 18 हजार के करीब राजधानी रांची में हैं. इसके बाद ईस्ट सिंहभूम में 6357 एक्टिव केस है. हजारीबाग जिला तीसरे पायदान पर है, यहां 3457 एक्टिव केस है. वहीं कोडरमा जिले में यह संख्या 2340 है. जबकि रामगढ़ में 2802 एक्टिव केस है. झारखंड के 24 जिलों में एक्टिव केस की संख्या 54816 तक पहुंच गयी है. 29 अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार रांची जिला में 1500 से अधिक मामले समाने आ रहे हैं. वहीं ईस्ट सिंहभूम यह संख्या प्रतिदिन एक हजार के करीब आ रहा है.
क्या कहते हैं ग्रामीण अंचल के लोग
गढ़वा के प्रशांत टोप्पो कहते हैं कि कोरोना का फैलाव तेजी से हो रहा है. लोग जांच नहीं करना चाहते. घर में ही रह कर इलाज करा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मनरेगा जैसी योजना में भी काम करने वाले मजदूरों को मास्क और सेनिटाइजर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण का फैलाव हो चुका है. सुदूर इलाके में होने वाली मौत की रिपोर्ट नहीं आ पा रही है. जिला, प्रखंड के आसपास के पंचायतों में जांच हो रहा है. लेकिन सर्दी, खांसी, बुखार होने पर मेडिकल प्रैक्टिशनर से इलाज करा रहे हैं. इसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेडिकल प्रैक्टिशनर के पास स्लाइन,दवा आदि की किल्लत होने लगी है.
कोडरमा के उमकार कहते हैं कि प्रशासन को जागरूकता लाने की जरूरत है. ग्रामीण इलाकों में डर का महौल बना हुआ है. प्रशासन को चाहिए कि कोरोना संदिग्ध लक्षण वाले लोगों को चिन्हित कर जांच करायें. साथ ही स्कूलों और पंचायत भवनों में भी रहने की व्यवस्था की जाए.
मनोहारपुर व सोनुआ के समाजिक कार्यकर्ता मंजूसी समाड़ व संदीप प्रधान कहते है यह झारखंड के सुदूर इलाका के प्रखंड है लेकिन यहां भी कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. जगरूकता की कामी, लोगो में लक्ष्ण होने के बाद भी जांच न करना साथ ही जो लोग टीका ले रहे है उनको कुछ दिन में बाद संक्रमित बता देने जैसी स्थिती है. संक्रमण तेजी से फैल रहा है जिसका कारण बारात ,बाजार और शादी के आयोजन में भीड़ होना मुख्य तौर पर है. जहां कोरोना गाईडलाइन आम लोगों के द्वारा मानी नहीं जा रहीं है.